22 दिनों से हाथियों ने अनूपपुर जिले में जमाया डेरा, पेंड में खाट रखकर रात बिताता है एक ग्रामीण
अनूपपुर :- छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा को पार कर एक दांत वाला एक हाथी विगत 22 दिनों से तथा दो हाथी विगत 14 दिनों से अनूपपुर जिले के जैतहरी इलाके के जंगल में डेरा जमाए हुए हैं एक सप्ताह से अधिक समय से तीनों हाथी दिन एवं रात में जंगल के अंदर रहकर समय ब्यतीत कर रहे हैं जबकि गुरुवार की रात तीनों हाथियों द्वारा एक घर में तोड़फोड़ कर घर के अंदर रखे सामान को खाया वही एक बैगा जनजाति समुदाय का युवक हाथियों के डर से पूर्व में अनेकों वार हाथियों द्वारा तोड़े गए घर के समीप एक पेड के ऊपर खाट रखकर शाम होते ही पेड के ऊपर रहकर हाथियों के विचरण पर निगरानी रख रहा है।
एक दांत वाला नर हाथी विगत 20 मार्च के दिन रात 41 दिन बाद फिर से छत्तीसगढ़ राज्य के कटघोरा वन मंडल में स्थित अपने 40 से अधिक हाथी साथियों के समूह से अलग होकर मरवाही वन परिक्षेत्र एवं वन मंडल सीमा को पार करते हुए अनूपपुर जिले के जैतहरी इलाके में प्रवेश कर जैतहरी,अनूपपुर एवं राजेंद्रग्राम इलाके में विचरण करने बाद अपने दो साथियों के जिसमें एक बड़ा तथा एक छोटा आकार का हाथी है जो संभवत पहली बार अपने समूह से अलग होकर विचरण करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य के मरवाही वन परिक्षेत्र की सीमा को पार करते हुए 29 मार्च की रात वन परिक्षेत्र जैतहरी के धनगवां एवं चोलना बीट के जंगल में प्रवेश कर निरंतर जंगल के अंदर ही दिन-रात रह रहे हैं के साथ 5 अप्रैल की सुबह एक दांत नर हाथी के मिल जाने से तीनों हाथी एक साथ विचरण कर रहे हैं गुरुवार की रात कई दिन बाद तीनों हाथी ग्राम पंचायत कुकुरगोंड़ा के कोसमटोला में झुमुकलाल पिता आलमशाय सिंह के घर में अचानक पहुंचकर तोड़फोड़ कर घर के अंदर रखी खाने की सामग्री को अपना आहार बनाते हुए शुक्रवार के दिन धनगवां बीट के जंगल जो ग्राम पंचायत क्योटार के कुसुमहाई गांव से लगा हुआ है में तीनों हाथी सातवें दिन ठहरकर विश्राम कर रहे हैं इस जंगल के अंदर तेंदू,बांस,गुंजा सहित अनेको प्रजाति के पेड़ बहुतायत मात्रा में होने आमापानी,जुगवारी धार एवं सोननदी मे पानी पीकर विभिन्न तरह के पेड़ों को अपना आहार बना रहे हैं हाथियों के निरंतर विचरण पर वनविभाग द्वारा दो तरह के गस्ती दल तैयार कर पूरी रात हाथियों के विचरण पर ग्रामीणों की मदद से सूचनाये प्राप्त कर निरंतर निगरानी की जा रही है वही ग्राम पंचायत क्योटार के कुसुमहाई गांव से लगे पाड़ाडोल जो जंगल से लगा हुआ है में दऊवा बैगा नामक युवक जिसके आसपास के दो-तीन घरों को अनेको बार हाथियों द्वारा आने एवं जाने का मार्ग बना रखा है में तोड़फोड़ कर नुकसान किए जाने के कारण घर के पास स्थित एक पेड़ के ऊपर अपना उपयोगी सामान बांध कर,रख कर एक खाट को पेड़ में चढा कर रखकर रात में अकेले रहकर हाथियों के विचरण पर निगरानी रख रहा है उसके तथा उसके पड़ोसियों के द्वारा शाम होते ही अपने परिवार के अन्य सदस्यों को हाथियों के डर एवं सुरक्षा की दृष्टि से बीच गांव,बस्ती में ग्रामीण जनों के घरों में निरंतर ठहरा देता है।
रिपोर्ट शशिधर अग्रवाल अनूपपुर