7 दिसंबर को होगा विराट अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन , देश के नामचीन कविगण करेंगे शिरकत
अनूपपुर :- राष्ट्रीय ख्याति लब्ध अनूपपुर के विख्यात कवि श्री दीपक अग्रवाल से प्राप्त जानकारी के अनुसार आगामी 7 दिसम्बर को जिला मुख्यालय में अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।जिसमें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त देश के माने हुए हास्य व्यंग्य गीत गजल ओज श्रृंगार सहित सभी विधा के कवि देश भर से पधार रहे हैं।
इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए आयोजन समिति के प्रमुख संतोष झा, अजीत मिश्रा व अनुपम सिंह ने बताया कि यह कार्यक्रम 7 दिसंबर को शाम 6:45 बजे से शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज अनूपपुर के प्रथम तल पर स्थित सभागार में होना है। यह कार्यक्रम जिला मुख्यालय में लगभग 8 वर्षों के अंतराल के बाद हो रहा है। जिसकी पूरे उत्साह के साथ व्यापक स्तर पर तैयारी की जा रही है। आम नागरिकों प्रशासनिक अधिकारियों जनप्रतिनिधियों सभी में कार्यक्रम को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। आयोजकों ने श्रोताओं से अपील की है कि यह कार्यक्रम सायं 6-45 से शुरू होकर रात्रि 11:00 तक समाप्त भी हो जाएगा इसलिए कार्यक्रम में समय का ध्यान रखते हुए पहुंचे। किसी भी प्रकार की असुविधा होने पर संपर्क सूत्र के नंबर जारी किए गए हैं उनका उपयोग करें। इस कार्यक्रम को सफल बनाने की जितनी जवाबदारी हमारी है उतनी ही आपकी है। मेहमान कवियों और श्रोताओं का स्वागत का जिम्मा हमारे साथ-साथ स्थानीय लोगों पर भी है और वे सहयोग भी कर रहे हैं
इस कार्यक्रम में पधार रहे मेहमान कवियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी इस प्रकार है-
अक़ील नोमानी -
अक़ील नोमानी बरेली उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। आप इन दोनों पूरी दुनिया में हिंदुस्तानी ग़ज़ल का परचम फहराने वाले तीन चार शीर्ष शायरों में शुमार किए जाते हैं। आसान ज़बान में सादगी के साथ बड़ी बात कहना अक़ील नोमानी साहब की ख़ासियत। दुनिया भर में उनको जानने वाले और मानने वाले लोगों की एक बड़ी तादाद है। उन्होंने दर्जनों देशों की यात्राएं कई कई बार की है। अभी दो-तीन महीने पहले भी इन्होंने लगभग तीन-चार महीने अमेरिका में विभिन्न शहरों में दर्जनों कवि सम्मेलनों में शिरकत की है। आप विंध्य में पहली बार पधार रहे हैं। उनका एक शेर है -
लगता है कहीं प्यार में थोड़ी सी कमी थी
और प्यार में थोड़ी सी कमी कम नहीं होती
मनोहर मनोज-
कटनी में रहने वाले मनोहर मनोज देश में हास्य व्यंग्य के सबसे वरिष्ठ कवियों में माने जाते हैं। आप पिछले कई दशक से तमाम टीवी चैनलों और कवि सम्मेलनों के लगभग सभी मंचों पर कविता पाठ कर रहे हैं इनकी झपटमार मोबाइल, पानी की समस्या, रेलयात्रा से जुड़ी बीमारी इत्यादि रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े विषयों पर जो कविताएं हैं वह लोगों को हंसा हंसा कर लोटपोट तो करती ही है साथ ही सोचने समझने और समस्या का हल खोजने के लिए विवश भी करती है। देशभर में इनके कई दर्जन शिष्य राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों का हिस्सा बनकर के देश को गौरवान्वित कर रहे हैं।
अतुल अजनबी-
ग्वालियर के रहने वाले अतुल अजनबी एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर हैं इन्होंने कई देशों की यात्राएं करके वहां पर अपनी शायरी का लोहा मनवाया है। इनको शेर
जब ग़ज़ल मीर की पढ़ता है पड़ोसी मेरा,
इक नमी सी मेरी दीवार में आ जाती है
को दुनिया भर में शायरी की सबसे सुंदर तख़्लीक़ में से एक माना जाता है। आपके प्रशंसकों में आम और ख़ास दोनों हैं। लेकिन दर्शन और आध्यात्मिक जगत से जुड़े शीर्षस्थ लोग भी अतुल अजनबी के मुरीद देखे जाते हैं। देश के सबसे बड़े कथावाचक मोरारी बापू तक ने उनके शेरों को अपनी कथा में स्थान दिया है और उस पर लंबा प्रवचन दिया है। आपने भी आधा दर्जन से ज्यादा देशों में काव्य पाठ कर ग्वालियर शहर और देश का नाम रोशन किया है। आप भी अनूपपुर में पहली बार किसी कवि सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।
मनवीर मधुर -
मथुरा के रहने वाले युवा कवि मनवीर मधुर पिछले दो दशकों से देश में ओज का सबसे मीठा स्वर माने जाते हैं। उनकी ओज कविता की शास्त्रीय परंपरा पर जो पकड़ है वह श्रोताओं को दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर देती है। आप एक श्रेष्ठ मंच संचालक भी हैं। बाबा रामदेव की पतंजलि सहित देश के विभिन्न संस्थाओं से आपका जुड़ाव रहा है। मनवीर काव्य मंच पर जिस शैली और तेवर के साथ काव्य पाठ करते हैं और जितना मीठा काव्य पाठ करते हैं उसका समन्वय देखना एक अद्भुत अनुभव को जीना है। अनूपपुर जिले में हालांकि कई बार आ चुके हैं लेकिन अनूपपुर शहर में मनवीर पहली बार आ रहे हैं।
अभय सिंह निर्भीक -
मूलत: प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश के रहने वाले अभय सिंह निर्भीक बहुत युवा कवि हैं लेकिन थोड़े से अंतराल में ही इन्होंने वीर रस के कवियों के बीच अपना सिक्का जमा लिया है। आपकी राम पर कर्ण पर भारत दर्शन पर ऐसी-ऐसी कविताएं हैं जो श्रोताओं को अपने स्थान पर जड़ कर देती है। और केवल उनके हाथ चलते रहते हैं तालियां बजाने के लिए। उनके काव्य पाठ में सम्मोहन महसूस किया जाता है। राष्ट्रीय चेतना का तीखा स्वर है अभय सिंह निर्भीक आप इस अंचल में पहली बार काव्य पाठ करने आ रहे हैं।
निकहत अमरोहवी -
अमरोहा इस देश का ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा अदबी शहर है जिसने इस देश को बड़े-बड़े शायर दिए हैं। पाकिस्तान के मशहूर शायर जॉन एलिया का ताल्लुक भी अमरोहा से ही था। ऐसे शहर से निकल कर अपनी पहचान बनाना आसान नहीं होता वह भी अपनी शायरी की क्वालिटी के दम पर और अपनी आवाज के दम पर। लेकिन निकहत ने इस कमाल को जिस तरीके से किया है वह क़ाबिले एहतराम है। उन्होंने काफी कम उम्र में दुनिया भर के तमाम शहरों में अपनी शायरी के चाहने वालों का एक बड़ा हुजूम तैयार लिया है। उनकी ग़ज़ल
मेरा बचपन कटा ग़म के आगोश में एक पल मैं खिलौनों से खेली नहीं,
हर तरफ भीड़ है लड़कियों की मगर मेरी किस्मत में कोई सहेली नहीं।
से उन्होंने यह साबित कर दिया कि वह आम शायरा नहीं बल्कि इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करवाने के लिए आने वाली शायरा हैं। आप भी इस इलाक़े में पहली बार काव्य पाठ करने आ रही हैं।
चेतन चर्चित -
सबसे कम उम्र के कवि चेतन चर्चित पिछले एक दशक से हिंदी काव्य मंचों का एक चर्चित हास्य व्यंग्य चेहरा रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में तो उन्होंने अपना नाम हास्य व्यंग्य के देश के शीर्ष कवियों में दर्ज कर लिया है। आपके काव्य पाठ के हर वर्ग के लोग मुरीद हैं। बहुत आसान लहजे में बहुत आसान शब्दों में बहुत तीखा व्यंग्य करना और लोगों को हंसने पर मजबूर कर देना चेतन चर्चित का कमाल है। खासतौर पर मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में तो चेतन के कविता पाठ का दूसरा कोई सानी नहीं मिलता। चेतन चर्चित का होना किसी कवि सम्मेलन की सफलता की ज़मानत हो जाता है। आप कटनी बिलासपुर मंडला डिंडोरी क्षेत्र में कई बार काव्य पाठ कर चुकेहैं। अभी पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री के कार्यक्रम में आपके संयोजन में देश के शीर्ष कवियों ने काव्य पाठ किया था जिसकी सफलता का सेहरा चेतन चर्चित के सर पर बंधा था। अपने छोटे कद को लेकर वह जिस तरह का व्यंग्य खुद पर करते हैं वह श्रोताओं के कानों में रस घोलने के साथ-साथ उनकी आंखों के सामने दृश्य पैदा कर देता है।
दीपक अग्रवाल-
तमाम मेहमान कवियों के साथ ही अनूपपुर के दीपक अग्रवाल भी इस कवि सम्मेलन का हिस्सा रहेंगे जिन्होंने अनूपपुर को साहित्यिक पहचान दिलाने में काफी अहम भूमिका अदा की है। काफी कम उम्र में ही उन्होंने एक राष्ट्रीय मुकाम बिना किसी सहारे के हासिल किया और उसके बाद उन्हें देशभर के शायरों का आशीर्वाद मिला और उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। पिछले दिनों मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा उर्दू लिपि में उनके एक ग़ज़ल संग्रह का प्रकाशन भी किया है जिसका नाम है रेत पर कश्तियां। सबसे अलग रदीफ और बिल्कुल अलग विषयों पर ग़ज़ल लिखना और आसान ज़बान में लिखना उनकी ख़ासियत है उनका शेर पढ़ने का प्रभावशाली लहजा दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। पाकिस्तान के बहुत बड़े प्रशासनिक अधिकारी और बहुत प्रसिद्ध शायर रहमान फारिस ने भी उनकी किताब में अपने ख़यालात दर्ज कराते हुए दीपक अग्रवाल को लुप्त हो चुके दीपक राग का शायरी में प्रकट होना बताया और कहा कि हिंदुस्तान में एक लम्बे समय बाद कोई शायर इतने तीखे तेवर के साथ दिखाई पड़ा है। दीपक अग्रवाल ने हिंदुस्तान के लगभग हर हिस्से में बड़े मंचों पर काव्य पाठ किया है।
उनका एक शेर है -
यह सियासत की है कोशिश कोई इंसान न हो
आदमी नीला हरा लाल या भगवा हो जाए