सीवरेज नाली को गुप्त नर्मदा बताकर हजारों हिन्दुओं की आस्था से खिलवाड़ - परम धर्म संसद श्रीधर शर्मा
कुलपति प्रो प्रकाशमणि पर थाना में लिखित शिकायत
अमरकंटक :- पिछले पांच वर्षों से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक ने एक बोर्ड लगाकर कर्मचारियों के आवासीय परिसर के शौचालय और गंदे पानी को "गुप्त नर्मदा" के नाम से प्रचारित किया। यह कृत्य न केवल नर्मदा मैया की पवित्रता का अपमान है, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाने वाला भी है। विश्वविद्यालय में आए अतिथियों, जिनमें मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल, शहडोल कमिश्नर, अनूपपुर कलेक्टर, कई केंद्रीय मंत्री, और अमरकंटक के संत शामिल हैं, को इस गंदे पानी को "गुप्त नर्मदा" मानकर पूजा करने के लिए गुमराह किया गया। यही नहीं, विश्वविद्यालय के सौ से अधिक कार्यक्रमों में उपस्थित लोगों से जबरन विश्वविद्यालय के गीत में "गुप्त नर्मदा" का उल्लेख करवाया गया। तेजी से बढ़ते दबाव के बीच, विश्वविद्यालय प्रशासन ने जिला और पुलिस प्रशासन के साथ हुई बैठक में स्वीकार किया कि तथाकथित "गुप्त नर्मदा" वास्तव में स्टाफ क्वार्टर का गंदा सीवरेज का नाला है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने गुप्त नर्मदा का अपमानजनक बोर्ड हटा दिया और एसडीएम राजेंद्रग्राम को लिखित में दिया कि "गुप्त नर्मदा" का साईन बोर्ड हटा दिया गया है। इस स्वीकारोक्ति से कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी अपने धार्मिक और नैतिक अपराधों से मुक्त नहीं हो सकते। उन्होंने पांच वर्षों तक जानबूझकर इस झूठ का प्रचार किया, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और हिंदू समाज की आस्था के साथ खिलवाड़ किया। यह एक गंभीर अपराध है, जिसके लिए तत्काल कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। इस मामले को लेकर श्रीधर शर्मा (अधिवक्ता) १००८ परम धर्म संसद शहडोल अमरकंटक थाना में लिखित शिकायत करके नर्मदा मैय्या एवं हजारों हिन्दू धर्म के लोगों के पूजा करने के आस्था से खिलवाड़ एवं अपवित्र सीवरेज के पानी को गुप्त नर्मदा बताकर शब्दों, संकेतों, चित्रों से हिन्दू जाति, हिन्दू धर्म का अपमान करने, हिन्दू युवाओं में आस्था से खिलवाड़ करने हिंसा भड़काने, सार्वजनिक सद्भाव और शांति को भंग करने के मामले में प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी पर तत्काल अपराध दर्ज कर गिरफ्तार करने का आवेदन थाना प्रभारी अमरकंटक को दिया है।
राज्यपाल मंगूभाई पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री, साधु समाज को बनाया घोर पाप का भागीदार
श्रीधर शर्मा ने बताया की पिछले पांच वर्षों में, मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह, और कई मंत्री, आईएएस, आईपीएस अधिकारी, संत, आम जनता और छात्र—इन सभी को अनजाने में इस घोर आपत्तिजनक कृत्य का भागीदार बनाया गया। अब जब इन लोगों को इस अपमानजनक सच्चाई का पता चला है, तो वे इसे अपने ऊपर एक पाप के रूप में अनुभव कर रहे हैं और गहरा दुख महसूस कर रहे हैं। प्रो. श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी ने जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण इरादे से हिंदू धर्म और नर्मदा मैय्या के प्रति असीम श्रद्धा रखने वाले भक्तों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का संगीन कार्य किया है। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में बहने वाले सीवरेज के गंदे नाले के पानी को गुप्त नर्मदा का नाम देकर समाज की आराध्य देवी नर्मदा मैय्या का अपमान किया है। यह कृत्य न केवल नर्मदा परिक्रमा वासियों के धार्मिक नियमों और परंपराओं का उल्लंघन करता है, बल्कि सार्वजनिक शांति और सद्भाव को भंग करने वाला भी है।
विश्वविद्यालय के कुलगीत में गुप्त नर्मदा का अपमानजनक संदर्भ
श्रीधर शर्मा ने बताया की प्रो. त्रिपाठी द्वारा स्वीकृत विश्वविद्यालय के कुलगीत में ‘गुप्त नर्मदा’ का उल्लेख किया गया है, जो उनके हस्ताक्षर से प्रमाणित है। यह एक शैक्षणिक संस्थान के कुलपति के रूप में उनकी जिम्मेदारी और समाज के प्रति संवेदनशीलता की गंभीर उपेक्षा को दिखाता है। नर्मदा मैय्या के हर कंकर को शिवलिंग का प्रतीक माना जाता है, जिसे श्रद्धा और पवित्रता के साथ पूजा जाता है। सीवरेज के पानी के कंकड़ों को ‘गुप्त नर्मदा’ कहकर उनकी धार्मिक मान्यता का घोर अपमान किया गया है।
कुलपति को कड़ी सजा दिलाने बुलाई जाएगी धर्म संसद
श्रीधर शर्मा ने बताया की नर्मदा मैया का अपमान और हिंदू आस्था के साथ किया गया यह धोखा केवल प्रशासनिक सुधारों से नहीं सुधारा जा सकता। न्याय की मांग है कि इस गंभीर अपराध के लिए कठोरतम कार्रवाई की जाए। इस घिनौने कृत्य के विरोध में एक धर्म संसद भी बुलाई जाएगी, जिसमें इस पापी कुलपति को सबसे कड़ी सजा दिलाने पर विचार किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसा अपराध फिर कभी न हो। हिंदू समाज, संत और भक्तजन न्याय और आस्था की रक्षा के लिए एकजुट हैं। यह आवश्यक है कि हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का यह घोर अपमान शीघ्र न्यायिक कार्रवाई से सुधारा जाए। विश्वविद्यालय परिसर में बहने वाले सीवरेज के पानी को ‘गुप्त नर्मदा’ बताकर, प्रो. त्रिपाठी ने नर्मदा परिक्रमा करने वाले भक्तों की धार्मिक आस्था और परंपरा को अपमानित किया है। नर्मदा परिक्रमा वासी नर्मदा नदी या उसकी सहायक नदियों को पार नहीं करते हैं, क्योंकि यह उनके धर्म में पाप माना जाता है। गंदे नाले को ‘गुप्त नर्मदा’ कहने का उद्देश्य उनकी मान्यताओं और परंपराओं का उपहास करना प्रतीत होता है।
नर्मदा मैय्या की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता
नर्मदा मैय्या को हिंदू धर्म में वैराग्य और पवित्रता की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। नर्मदा के दोनों तटों पर हजारों तीर्थ, ज्योतिर्लिंग और पवित्र स्थल स्थित हैं, जहाँ करोड़ों श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं। नर्मदा के संदर्भ में प्राचीन ग्रंथों और पुस्तकों में कहीं भी ‘गुप्त नर्मदा’ का उल्लेख नहीं मिलता।