हाथी,भालू एवं मानव के मध्य दृन्द रोकने हेतु कोतमा के बिछियाडांड के जंगल में एक दिवसीय पशिक्षण आयोजित publicpravakta.com


हाथी,भालू एवं मानव के मध्य दृन्द रोकने हेतु कोतमा के बिछियाडांड के जंगल में एक दिवसीय पशिक्षण आयोजित


शशिधर अग्रवाल


अनूपपुर :- मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्य के सीमा में विगत कई वर्षों से हाथी,भालू जैसे अनेकों वन्यप्राणी आहार तलाश में विचरण करते हुए पहुंचकर कई-कई माह तक मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में अपना अस्थाई आवास बनाकर ठहरकर देर शाम एवं रात होते ही जंगलों से निकलकर आबादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश कर ग्रामीण के घर,खेत,बांड़ी एवं अन्य स्थानों पर पहुंचकर निरंतर नुकसान पहुंचा रहे हैं इस बीच विगत दो वर्षों के मध्य हाथियों एवं भालू के हमले से कई ग्रामीणों की अकाल मौत की घटना हुई है वहीं कई ग्रामीण वन्यप्राणियों के हमले से गंभीर रूप से घायल हुए हैं ग्रामीणो में वन्यप्राणियों के निरंतर विचरण से अक्सर आक्रोश की स्थिति उत्पन्न होने पर जिला प्रशासन, पुलिस एवं वनविभाग को विभिन्न तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है हाथी एवं भालू जैसे वन्यप्राणियों के विचरण दौरान मानव के बीच होते दृंद को रोकने के उद्देश्य से अनूपपुर वन मंडलाधिकारी सुश्री श्रद्धा पेन्द्रे द्वारा अनूपपुर वन मंडल के कोतमा वन परिक्षेत्र अंतर्गत लतार बीट के वन खंड बिछियाडांड में केवईनदी के किनारे के वनक्षेत्र में अनूपपुर उपवन मंडल अंतर्गत अनूपपुर,जैतहरी,कोतमा एवं बिजुरी वन परिक्षेत्र के वनविभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण हाथी एवं भालू के विचरण दौरान मानव के मध्य दृंद रोके जाने हेतु आयोजित किया गया जिसमें मुख्य रूप से प्रशिक्षण में नेचर बायोडायवर्सिटी एसोसिएशन बिलासपुर,छत्तीसगढ़ के सदस्य एवं वन्यप्राणी विशेषज्ञ मंसूर खान ने प्रशिक्षण दौरान कहा कि निरंतर घटते जंगल एवं जंगल के मध्य वन्यप्राणियों के लिए घटते आहार की सामग्रियों के कारण हाथी,भालू जैसे वन्यप्राणी आहार की तलाश में निरंतर विचरण करते हैं जो दिन में जंगल में ठहरकर शाम एवं रात होते ही आहार की तलाश में जंगल के मध्य आहार की सामग्री नहीं मिलने के कारण आबादी वाले क्षेत्र में प्रवेश कर ग्रामीणों के घर,खेतबांडी एवं अन्य स्थानों पर नुकसान पहुंचाते हैं जिस कारण वन्यप्राणियों एवं मानव के मध्य द्वंद्व की स्थिति निर्मित होती है जिसे रोकने के लिए वनविभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों को वन्यप्राणियों की उपस्थिति के पूर्व पुरुषों एवं महिलाओं के मध्य छोटी-छोटी बैठक कर वन्यप्राणियों से बचाव के उपाय का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए वन।यप्राणियों के आबादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश को रोकने के लिए विभिन्न तरह के उपाय अपनाया जाना आवश्यक होता है उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को वन क्षेत्र में जहां वन्यप्राणी ठहरते एवं विचरण करते हैं पर जाने से रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए वन्यप्राणियों का रेस्क्यू किसी भी तरह की समस्या का समाधान नहीं हो सकता है।


 इस दौरान एसडीओ वन प्रदीपकुमार खत्री ने कहा कि वन्यप्राणी अत्यंत संवेदनशील होते हैं जो आहार के लिए विचरण करते हैं घटते जंगल एवं जंगल में पाए जाने वाले आहार की घटती संख्या के कारण ही अब आबादी वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं उन्होंने वनविभाग के अधिकारी/कर्मचारियों से वनक्षेत्र में सतत निगरानी रखते हुए अपने सूचना तंत्र को मजबूत कर किसी भी तरह की गतिविधियों की जानकारी तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को समय पर देना चाहिए ताकि समय रहते ही निगरानी की जा सके।

प्रशिक्षण दौरान चारों वन परिक्षेत्र के अधिकारियों कर्मचारियों के मध्य समूह चर्चा एवं वन प्राणियों को तथा आम जन को वन क्षेत्र में रोकना आने जाने के उपाय के संबंध में आपस में चर्चा कर महत्वपूर्ण निर्णय निकाले गए।

प्रशिक्षण दौरान वन परिक्षेत्र अधिकारी अनूपपुर स्वर्णगौरव सिंह,जैतहरी के विवेक मिश्रा,कोतमा के हरीशकुमार तिवारी,बिजुरी से सुश्री जीतूसिंह बघेल,जिला मुख्यालय अनूपपुर के वन्यजीव संरक्षक शशिधर अग्रवाल के साथ चारो वन परिक्षेत्र के परिक्षेत्र सहायक,वनरक्षको ने प्रशिक्षण में उपस्थित रहकर प्रशिक्षण प्राप्त किया ।

 

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