सोडा फैक्ट्री में क्लोरीन गैस का रिसाव: सुरक्षा प्रबंधन में लापरवाही का नतीजा - चैतन्य मिश्रा publicpravakta.com


सोडा फैक्ट्री में क्लोरीन गैस का रिसाव: सुरक्षा प्रबंधन में लापरवाही का नतीजा - चैतन्य मिश्रा


भोपाल गैस त्रासदी की भयावहता की याद दिलाती अनूपपुर की सोडा कास्टिक यूनिट बरगवां, एक बड़े खतरे की ओर इशारा*


अनूपपुर :- जिले  के नगर परिषद् बरगवां अमलाई  स्थित सोडा कास्टिक यूनिट से हुए क्लोरीन गैस के रिसाव की घटना ने न केवल औद्योगिक सुरक्षा के मुद्दे को उजागर किया है, बल्कि स्थानीय निवासियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति प्रबंधन और प्रशासन की उदासीनता को भी सामने लाया है। क्लोरीन गैस का रिसाव, जो कि एक अत्यंत खतरनाक और जानलेवा गैस है, लोगों की जान को सीधे तौर पर खतरे में डालता है। यह विचार प्रकट करते हुए विचारक चैतन्य मिश्रा ने आगे कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ जब इस यूनिट से गैस का रिसाव हुआ है; यह नियमित रूप से होने वाली घटनाओं में शामिल हो गया है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।क्लोरीन एक जहरीली गैस है, और इसके संपर्क में आने से सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, और त्वचा में जलन जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। लंबे समय तक इसका प्रभाव स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। दिनांक 21 सितंबर 2024 को शाम करीब 7:30 बजे अचानक गैस का रिसाव हुआ, जिससे परिषद् के वार्ड  नंबर 03 की आबादी में भगदड़ मच गई। लोगों की आंखों से आंसू बहने लगे, और सांस लेने में कठिनाई होने लगी। यह घटना बेहद खतरनाक थी और इसका प्रभाव कई घंटे तक जमीन की सतह पर बना रहा।सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह कोई एक बार की घटना नहीं है, बल्कि इस यूनिट से गैस का रिसाव दो एक  महीने में एकाध बार होता रहता है। इससे साफ है कि फैक्ट्री में सुरक्षा प्रबंधन में गंभीर लापरवाही है।  बरगवां अमलाई नगर परिषद के स्थानीय निवासी जो  वार्ड नंबर 1, 2 और 3 के लोग जो फैक्ट्री के आसपास रहते हैं ऐसे खतरों के बीच जीने को मजबूर हैं। और  हर बार इस रिसाव से परेशान हो जाते हैं, लेकिन उद्योग प्रशासन द्वारा इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। उद्योग के अधिकारियों की चुप्पी और लापरवाही निंदनीय है, जो स्पष्ट रूप से दिखाता है कि वे स्थानीय रहवासियों  की सुरक्षा और स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर रहे हैं।सबसे बड़ी समस्या यह है कि फैक्ट्री के पास कोई उचित स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं है। सोडा फैक्ट्री के स्वास्थ्य केंद्र में न डॉक्टर हैं और न ही दवाइयां। अगर कोई बड़ा हादसा होता है, तो इसका इलाज और प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराना संभव नहीं है। ऐसे में फैक्ट्री प्रबंधन और प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस ओर ध्यान दें और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाएं ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में लोगों की जान बचाई जा सके।इस तरह की घटनाएं हमें भोपाल गैस त्रासदी की भयावहता की याद दिलाती हैं, जब प्रबंधन की लापरवाही और प्रशासन की उदासीनता के चलते हजारों लोग अपनी जान गंवा बैठे थे। अनूपपुर  की यह घटना भी एक बड़े खतरे की ओर इशारा कर रही है। अगर समय रहते कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यहां भी स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।इस तरह के औद्योगिक हादसों से बचने के लिए जरूरी है कि फैक्ट्री प्रबंधन और प्रशासन एक साथ मिलकर सुरक्षा के ठोस उपाय करें। क्लोरीन गैस जैसी खतरनाक गैस के रिसाव की घटनाओं को बार-बार होने देना न केवल लापरवाही है, बल्कि एक गंभीर अपराध भी है। स्थानीय प्रशासन और उद्योग विभाग को इस ओर ध्यान देकर नियमित निरीक्षण करना चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही, स्वास्थ्य सुविधाओं को भी सुधारना चाहिए ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में स्थानीय निवासियों को तुरंत चिकित्सा सहायता मिल सके।क्लोरीन गैस का रिसाव केवल एक औद्योगिक दुर्घटना नहीं है, यह मानव जीवन के प्रति लापरवाही का प्रतीक है, जिसे किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।यदि प्रशासन और प्रबंधन समय रहते नहीं चेते, तो अनूपपुर  की यह सोडा फैक्ट्री अगली बड़ी औद्योगिक त्रासदी का केंद्र बन सकती है।


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