अमरकंटक में बंदरों का आतंक, तीर्थ यात्रियों,पर्यटकों को आए दिन काटकर बंदर कर रहे घायल
जिला प्रशासन तथा वन विभाग से तुरंत कार्यवाही की मांग उठी
श्रवण उपाध्याय
अमरकंटक :- मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक में इस समय लाल मुंह के बंदरों का भारी आतंक बढ़ गया है ।मध्य प्रदेश के प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन स्थल , पवित्र नगरी अमरकंटक में आए यात्रियों , पर्यटकों , श्रद्धालुओ , भक्तों पर रोजाना इन बंदरों का रोजाना आतंक व्याप्त रहता है । महिलाए , बच्चे सभी इनसे भयभीत रहते है । मंदिर आदि जगह जाते समय हाथो मे रखा नारियल प्रसाद आदि लेकर चलना बड़ा कठिन हो गया है । ये बंदर इतने ठीठ हो चुके है की पीठ पीछे से ज्यादा सामान पर हाथ मारते नजर आते है । इनसे कोई मुकाबला भी नही कर सकता । ये बंदर सीधे ऐंठ जाते है । कभी कभी काट भी लेते है । अमरकंटक के हर गली , मोहल्ला साथ ही घरों में रखा सामान आज भी इनके चलते सुरक्षित नहीं रह पाता है । घर के अंदर से सामान लेकर भाग जाते हैं , किचन में प्रवेश करने लग गए है । बंदरों का आतंक इस कदर व्याप्त है कि नगर के हर जनमानस इनसे परेशान हो चुका है । घरों में लगे टीना , चद्दरो को हिला हिला कर उखाड़ डालते है । गरीब परिवार भी इनसे तंग हो चुका है । इस तरह अमरकंटक में सामान्य लोगो का जीवन दूभर कर रखा है । बताया जाता है कि बंदर आए दिन पर्यटक तीर्थ यात्रियों , भक्ततो , श्रद्धालुओं को नर्मदा मंदिर परिसर , कोर्ट तीर्थ स्नान कुंड घाट , सोनमूड़ा, माई की बगिया , कपिलधारा , दूध धारा , जालेश्वर एवं रामघाट सहित अरंडी संगम जैसे आदि जगहों में यात्रियों का रखा सामान आदि तथा नारियल प्रसाद जो चढ़ाने के लिए मंदिर ले जाते हैं उन्हें वह जबरिया छुड़ाकर ले भागते हैं । वहीं यह भी उल्लेखनीय है कि लोकल दुकानदारों द्वारा चना आदि टूरिस्टो को बिक्री करके यात्रीयो द्वारा बंदरों को खिलाया जाता है जिससे उनकी नजदीकिया और ज्यादा बढ़ रही है । जंगल छोड़ नगर की ओर अग्रसर होते जा रहे । खासकर इन स्थानों में जैसे सोनमुड़ा , माई की बगिया , कपिलधारा आदि में उन्हें चना मटर बिस्कुट आदि खाद्य सामग्री ज्यादा खिलाया जाता हैं इससे बंदर और भी अधिक परेशान करते हैं । यहां तक की रामघाट , पुष्कर डेम , अरंडी संगम में स्नान आदि के लिए जाने वाले भक्त, श्रद्धालु तीर्थ यात्रियों का सामान आज भी लेकर भाग जाते हैं । स्थानीय शांति कुटी आश्रम के श्रीमहंत स्वामी रामभूषण दास जी महाराज ने शिकायत करते हुए बताया कि अब अमरकंटक नगर में बंदरों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाने के कारण उनका आतंक भी बहुत ज्यादा बढ़ गया है । बंदरों के आतंक के चलते घर आंगन छत में कोई भी सामान सामग्री नहीं रख या सुखा सकते तथा ठंड के समय बनाई जाने वाली बड़ी भी इस वजह से नहीं बन पाती है । प्राप्त जानकारी के अनुसार अमरकंटक नगर तथा जंगल में इस समय हजारों हजारों की तादाद में बंदर आ चुके हैं । इनका समय रहते निदान नहीं किया गया तो आने वाले समय में बंदर और भी आतंक मचाएंगे तथा कोई गंभीर घटना भी घटित होने की संभावना बन सकती है । स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अमरकंटक के डॉ रानू प्रताप सरीवन ने बताया की बंदरों के द्वारा काटे जाने का प्रकरण आए दिन पहुंचता रहता है जिन्हें की समुचित उपचार एवं इंजेक्शन दिया जाता है । स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन अनूपपुर तथा वन विभाग से तत्काल इस विषय में आवश्यक एवं ठोस कार्यवाही करने की मांग की है तथा यहां के बंदरों को कहीं दूरस्थ वन क्षेत्र में छोड़े जाने की मांग की है । ऐसा भी कहा जा रहा है कि अमरकंटक में चार-पांच वर्ष पूर्व इतने बंदर नहीं थे । यह कुछ समय पूर्व ही अन्यत्र क्षेत्र से यहां के वनांचल में बंदरों को लाकर छोडा गया है तभी से इनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है ।