हरतालिका तीज कब? जानें तारीख, महत्व और पूजा विधि तिथि की असमंजस में ज्योतिष आचार्य अखिलेश त्रिपाठी ने दी जानकारी कब करें व्रत 5 सितंबर 6 सितंबर को
अनूपपुर :- हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन रखा जाता है। इस व्रत सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। यह व्रत बहुत ही कठिन होता है क्योंकि, यह निर्जला रखा जाता है। यह व्रत खासतौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में रखा जाता है। आइए जानते हैं इस साल हरतालिका तीज का पर्व कब मनाया जाएगा और इसका पौराणिक महत्व क्या है।
*हरतालिका तीज का व्रत कब?*
ज्योतिषाचार्य पंडित श्री अखिलेश त्रिपाठी का कहना है कि इस साल हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा। तृतीया तिथि का आरंभ 5 सितंबर की दोपहर में 12 बजकर 22 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 6 सितंबर को सुबह 3 बजकर 1 मिनट तक रहेगी। तृतीया तिथि उदयकाल में 6 सितंबर को रहेगी ऐसे में हरितालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा 7 सितंबर को पारन किया जाएगा
*हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि*
श्री त्रिपाठी ने बताया कि हरतालिका तीज के दिन सुबह स्नान आदि के बाद भगवान शिव माता पार्वती और गणेश जी की मिट्टी से प्रतिमा बनाएं।
इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें तिलक लगाएं और दूर्वा अर्पित करें। फिर भगवान शिव को बेलपत्र और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
*हरतालिका तीज का महत्व*
ज्योतिष विद बताते हैं कि हरतालिका तीज का महत्व बहुत ही खास माना जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं और मिट्टी की भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाकर कठोर तप करती हैं। इस व्रत में पानी नहीं पिया जाता है। साथ ही रात्रि में जागकर भगवान शिव और माता पार्वती का जागरण किया जाता है।
*क्यों मनाई जाती है हरतालिका तीज*
सुहागिनों और कुंवारी कन्याओं के सबसे बड़े पर्व में से हरतालिका तीज भी है। हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। ये पर्व भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा है। इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करते हैं। महिलाएं तीज में निर्जला व्रत रखती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस बार हरतालिका तीज 06सितंबर 2024 को मनाई जा रही है। इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पूरे परिवार की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर घर में मंदिर में स्थापित करते हैं। माता का श्रृंगार किया जाता है। महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, हाथों पर मेहंदी रचाती हैं और रात में माता गौरी की पूजा करती हैं। सुहागिनों के साथ ही कुंवारी लड़कियां भी व्रत करती हैं