हसदेव क्षेत्र के बिमार चिकित्सालय को प्रबंधकीय उपचार की अवश्यकता....publicpravakta.com


हसदेव क्षेत्र के बिमार चिकित्सालय को प्रबंधकीय उपचार की अवश्यकता....

 

अनूपपुर :- जिले के अन्तिम छोर पर बसा कोयलांचल क्षेत्र बिजुरी कालरी, राजनगर आर.ओ, राजनगर ओपेन काष्ट कालरी, बहेराबध कालरी, कोरजा कालरी झीरिया कालरी ,सहित झगराखण्ड उपक्षेत्र के कामगारों के लिये स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर एसईसीएल कम्पनी का एक मात्र चिकित्सालय आमाखेरवा (मनेन्द्रगढ) के केन्द्रीय चिकित्सायलय अब कामगारों के लिये आशा की किरणें बची है । लेकिन अब वह भी प्रबन्धकीय उदासीनता के चलते चिकित्सयलय उपेक्षा का दंश झेल रहा है जिसके चलते एसईसीएल के हसदेव क्षेत्र का कामगार सर्वजनिक अवकाश के दिन जांच के अभाव में निजी लैब संचालको के हाथों लूटने को मजबूर है ? 

          जानकारी के मुताबिक जब से कम्पनी में अधिकारियों पीआरपी के लेख जोखा का हिसाब उच्च प्रबन्धन मांगने लगा अधिकारी कम लागत में अपने काम को बेहत्तर दिखाने के चक्कर में कामगारों के हीतों पर कुठारा घात करना चालू कर दिये ? और क्षेत्रीय युनियन प्रतिनिधी भी  निजी स्वार्थों में संलिप्तता के चलते अपने जिम्मेदारी से इतिश्री कर लेते है । यह प्रायः देखने को मिलता है कि हसदेव क्षेत्र के किसी भी कालरी का कामगार स्वयं या अपने आश्रित को लेकर रविवार या संवैतनिक अवकाश के दिन एसईसीएल के हसदेव क्षेत्र द्धारा संचालित केन्द्रीय चिकित्सालय आमाखेरवा (मनेन्द्रगढ) में जाता है तो आवश्यक सेवा के नाम पर चिकित्सक तो एक या दो मिल जाते है लेकिन रक्त जांच, एक्सरे ,ईसीजी और ड्रेसर के पद पर काम करने वाले सम्बधित स्टाप की डियुटी नही लगाई जाती । आपाकालीन सेवा में लिये गये चिकित्सक या अवकाश पर रहे चिकित्सक अपने क्वाटर पर कालरी कर्मी को सेवायें दे देते है लेकिन बिमारी से संबधित जांच के लिये बाजार में खुले संबधित जांच केन्द्रों पर भेज देते है ? जिसके चलते लाचार कर्मचारी निजी प्रतिष्ठान से आवश्यक जांच करने चल पड़ता है l गौर करने वाली बात है कि जहॉं लगभग 4400 नियमित एवं ठेकेदार कामगार मिलाकर लगभग बीस हजार लोग चिकित्सालय से ईलाज के लिये आश लगाये बैठे है । वहा उस जगह पर प्रबंधन आवश्यक सेवा में रक्त जांच, एक्सरे , ईसीजी और ड्रेसर से पदों पर काम करने वाले कर्मचारी को अवकाश के दिन काम क्यों नही लेती ? ई.सी.जी. और ड्रेसर के काम में कालरी के जनरल मजदूरों से काम लिया जा रहा है जब कि उक्त कार्य के लिये तकनीकी कामगार होने चाहिये ।


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