जिले की सीमा से छत्तीसगढ़ की सीमा में वापस हुए दो नर हाथी,ग्रामीणों ने ली राहत की सांस publicpravakta.com


जिले की सीमा से छत्तीसगढ़ की सीमा में वापस हुए दो नर हाथी,ग्रामीणों ने ली राहत की सांस


शशिधर अग्रवाल


अनूपपुर :- निरंतर 33 दिन तक अनूपपुर जिले में छत्तीसगढ़ राज्य के मरवाही वन परिक्षेत्र से आए दो प्रवासी नर हाथी निरंतर विचरण करने बाद गुरुवार की रात मध्यप्रदेश की सीमा के अंतिम छोर पर स्थित अनूपपुर जिले के जैतहरी तहसील,थाना एवं वन परिक्षेत्र की सीमा को वन बीट एवं ग्राम,ग्राम पंचायत चोलना में स्थित गुजर नाला को पार कर एक बार फिर से छत्तीसगढ़ राज्य की जीपीएम जिले अंतर्गत मरवाही तहसील एवं वन परिक्षेत्र की सीमा में लगभग 12 से 15 किलोमीटर की दूरी पर जाकर बीट घुसरिया के जंगल में शुक्रवार के दिन पहुंच कर विश्राम कर रहे हैं दोनों हाथियों के द्वारा एक माह से अधिक समय तक जिले में ठहरने/विचरण करने के दौरान कई तरह के नुकसान किए गए हैं हाथियों के वापस जाने पर जिला प्रशासन एवं वनविभाग ने हाथियों पर निगरानी रखने,विभिन्न तरह का सहयोग करने पर सभी का आभार व्यक्त किया है वहीं ग्रामीण जन हाथियों के जाने के बाद राहत की सांस ले रहे हैं।


ज्ञातव्य है कि विगत माह 15 जून की रात दो प्रवासी नर हाथी जो छत्तीसगढ़ के कटघोरा जिले के एतवानगर एवं केन्दई क्षेत्र में जहां लगभग 50 हाथियों का समूह विगत कई वर्षों से विचरण कर रहा है मे से दो नर हाथियों का समूह दल से अलग होकर जंटका,पसान होते हुए जीपीएम जिले के मरवाही वन परिक्षेत्र के घुसरिया,शिवनी वन बीटों के वन क्षेत्र में एक माह तक निरंतर विचरण करने के दौरान ग्रामीण की घरों में तोड़फोड़ कर खेतों में लगे विभिन्न तरह के अनाजों को अपना आहार बनाते हुए छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा को पार कर मध्यप्रदेश के अंतिम छोर पर बसे अनूपपुर जिले के जैतहरी तहसील,थाना एवं वन परिक्षेत्र सीमा पर वन बीट एवं ग्राम तथा ग्राम पंचायत चोलना में गूजर नाला पार कर प्रवेश कर निरंतर 33 दिनों तक चोलना,पोडी-चोडी,पडौंर,कुकुरगोडा,गुवारी,क्योटार,कुसुम हाई,गुजारी,अमगवां,बेलिया,गोबरी,गौरेला,खोलईया,लखनपुर,दूध मनिया,केकरपानी,पगना,बांका,ठेंगरहा सहित एक दर्जन से अधिक ग्रामीण अंचलों में रात के समय विचरण करते हुए अनेको ग्रामीण के घरों में तोड़फोड़ कर खेत एवं बांडियो में लगे विभिन्न तरह के अनाजों को अपना आहार बनाते हुए सुबह होते ही दिन भर के लिए जंगलों में ठहरकर दिन बिताते रहे हैं जिनके निरंतर विचरण कर नुकसान किए जाने पर ग्रामीणो के विभिन्न तरह की संपत्तियां,अनाजों का नुकसान हुआ रहा है जिससे ग्रामीणों में बड़े पैमाने पर नाराजगी रही है जिससे कई बार ग्रामीणो एवं वन विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के मध्य बाद-विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई रही है दोनों प्रवासी नर हाथियों को जिले के बाहर किए जाने की ग्रामीणों की निरंतर मांग एवं ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए जिले के विधायक एवं मध्यप्रदेश शासन की राज्यमंत्री दिलीप जायसवाल,अनूपपुर विधायक बिसाहूलाल सिंह,पुष्पराजगढ़ विधायक फुन्देलाल सिंह मार्को,जिला पंचायत,जनपद पंचायत एवं हाथी प्रभावित क्षेत्र के ग्राम पंचायतो के सरपंच एवं जनप्रतिनिधियों ने अनेकों बार मुख्यमंत्री से लेकर जिला प्रशासन,वनविभाग को जिले को हाथियो की समस्या से मुक्त किए जाने की मांग करते हुए बातचीत की हाथियों के निरंतर विचरण दौरान मुख्य वन संरक्षक शहडोल एलएल उईके,अनूपपुर कलेक्टर आशीष वशिष्ठ,अनूपपुर वन मंडलाधिकारी सुश्री श्रद्धा पेन्दे,पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह पवांर ने हाथी प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण एवं निरीक्षण कर ग्रामीणों से चर्चा करते हुए शासन स्तर तक हाथियों के विचरण पर उत्पन्न समस्या के निराकरण हेतु ठोस उपाय किए जाने हेतु वन विभाग के मुख्यालय के साथ प्रदेश स्तर के प्रमुख अधिकारियों,जन प्रतिनिधियों से पत्राचार का निरंतर संपर्क बनाए रखा इस दौरान विभिन्न तरह से प्राप्त सुझाव के आधार पर जिला प्रशासन एवं वनविभाग के द्वारा बीच-बीच में कई तरह के प्रयोग हाथियों के जिले से बाहर किए जाने हेतु किए गए जिसमें आंशिक रूप से ही सफलता प्राप्त हो सकी दोनों नर हाथी अपने स्वाभाविक विचरण प्रणाली अनुसार विचरण करते हुए अन्य स्थानो में ठहराव की तरह अनूपपुर जिले में भी एक माह तक ठहरने बाद स्वयं ही गुरुवार की रात जिले की सीमा को पार कर वापस छत्तीसगढ़ राज्य की ओर चले गए जिला प्रशासन एवं वनविभाग के अधिकारियों के निर्देश पर हाथियों के द्वारा किए गए विभिन्न तरह के नुकसान पर संबंधित पटवारी वनरक्षकों की उपस्थिति में ग्रामीणों के हुए नुकसान का सर्वेक्षण कार्य करते हुए क्षृतीपूर्ति का प्रकरण तैयार किया गया है जिसमें अधिकांश प्रभावितों को राहत राशि भी प्रदान की जा चुकी है तथा शेष की राशि भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ है हाथियों के जाने के बाद जिला प्रशासन एवं वनविभाग के अधिकारियों ने हाथियों पर निरंतर निगरानी रखने के साथ विभिन्न तरह के सहयोग किये जाने पर सभी का आभार व्यक्त किया है हाथियों के जिले से बाहर चले जाने पर ग्रामीणों ने एक बार फिर से राहत सांस की है।


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