कॉलनी प्रबंधन की लापरवाही के कारण व्यापारियों को होगा करोड़ों का नुकसान
जमुना-कोतमा क्षेत्र की आमडाड खुली खदान में रोड सेल को कोयला देने में गंभीर समस्याएं
जमुना-कोतमा :- एरिया के अंतर्गत आमडाड खुली खदान में प्रबंधन की लापरवाही के चलते कोयला वितरण में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले महीने 1,20,000 टन कोयला ई-ऑक्शन के माध्यम से विक्रय किया गया था और इसके साथ ही 30,000 टन लिंकेज कोयला मिलाकर कुल 1,50,000 टन कोयला वितरित किया जाना था। इस कोयले को 45 दिनों की अवधि में प्रतिदिन 16 घंटों (सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक) में वितरित करना था
लेकिन मौजूदा स्थिति में कोयला वितरण की यह समय सीमा पूरा करना असंभव साबित हो रहा है। कोटा चार्ट के अनुसार, प्रतिदिन 140 से 167 ट्रक कोयला ले जाने के लिए निर्धारित किए गए थे, जो अब बढ़कर 180 ट्रक प्रतिदिन हो गए हैं और जल्द ही यह संख्या 200 ट्रक प्रतिदिन तक पहुंचने की संभावना है। केवल एक ही काटा (वजन मापक) से इन सभी ट्रकों कोयला लोड और अनलोड करना बहुत मुश्किल हो गया है, जिससे प्रतिदिन की स्थिति और बिगड़ती जा रही है।
सुरक्षा में चूक और रोड दुर्घटनाओं का खतरा
रोड सेल का गेट और मुख्य सड़क के पास होने के कारण आए दिन रोड दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिससे रोड सेल की प्रक्रिया भी बाधित हो रही है। यह सुरक्षा में गंभीर चूक है और प्रबंधन को तुरंत इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि इसी प्रकार की स्थिति बनी रही, तो दुर्घटनाओं की संख्या और भी बढ़ सकती है, जिससे जान-माल का नुकसान भी हो सकता है।
प्रबंधन की कुंभकरणीय निद्रा
प्रबंधन की लापरवाही का आलम यह है कि 24 घंटे के प्रोग्राम को ध्यान में रखते हुए 1,20,000 टन कोयला ई-ऑक्शन से पहले रोड सेल में तैयार किया गया था, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। लेकिन प्रबंधन की कुंभकरणीय निद्रा के कारण 24 घंटे का काम 16 घंटे में कराया जा रहा है, जो कि असंभव है। प्रबंधन इस समस्या से निपटने की बजाय आंख मूंदे बैठा है।
भारी नुकसान की ओर व्यापारी
मौजूदा स्थिति में आमडाड खुली खदान में 1,00,000 टन कोयला बैलेंस में है और 30,000 टन लिंकेज से आना बाकी है। इसके अलावा 1,20,000 टन कोयला ई-ऑक्शन से 4 जुलाई 2024 को फिर से विक्रय किया गया है। कुल मिलाकर 2,50,000 टन कोयला रोड सेल के माध्यम से वितरित किया जाना बाकी है। बरसात के कारण और केवल एक काटा से 16 घंटों में कोयला वितरण करना असंभव प्रतीत हो रहा है। यदि किसी कारणवश कोयला लेप्स हो जाता है, तो व्यापारियों का 500 रुपये प्रति टन ईएमडी के साथ जीएसटी अलग से काटा जाएगा और शेष पैसा तीन माह बाद दिया जाएगा। इस होने वाले नुकसान का जिम्मेदार कौन होगा?
व्यापारियों का करोड़ों का नुकसान होना तय है अगर प्रबंधन ने तुरंत कार्रवाई नहीं की। यह केवल एक आर्थिक मुद्दा नहीं है, बल्कि सुरक्षा और विश्वास का भी मामला है।
व्यापारियों ने प्रबंधन से तत्काल और प्रभावी समाधान की मांग की है। उनका कहना है कि यदि स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो उन्हें अपने व्यापार में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। यह समय है कि प्रबंधन अपनी जिम्मेदारी को समझे और कार्रवाई करे, अन्यथा व्यापारियों का विश्वास खोने का खतरा है।