शत प्रतिशत मतदान अभियान में नोटा का भी प्रचार प्रसार ज़रुरी - अजय खरे
रीवा :- समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाता जागरूकता के नाम पर भारत निर्वाचन आयोग शत-प्रतिशत मतदान का अभियान चला रहा है लेकिन नोटा के प्रचार प्रसार के बारे में उसकी भूमिका बेहद निराशाजनक है। आखिरकार नोटा के बारे में लोगों को जानकारी देने का काम कौन करेगा ? श्री खरे ने कहा कि देश के लोकतंत्र को मजबूत रखने के लिए निष्पक्ष स्वतंत्र चुनाव आयोग की दरकार होती है। भारत निर्वाचन आयोग को मतदाताओं को जागरूक करने का कार्यक्रम चुनाव अधिसूचना जारी होने से पहले तक चलाना चाहिए। चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद राजनीतिक दल एवं संबंधित प्रत्याशी अपने पक्ष में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए खुद सक्रिय रहते हैं। वैसे भी चुनाव में भाग लेने वाले प्रत्याशी अपने-अपने पक्ष में मतदान कराने के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं। मतदान का प्रतिशत बढ़े अच्छी बात है लेकिन मतदान सही तरीके से हो इस बात का भी पालन होना चाहिए। श्री खरे ने कहा कि चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति सत्तारूढ़ दल की मर्ज़ी पर निर्भर हो गई है। ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होना स्वाभाविक है ? चुनाव आयोग को मतदाताओं को खास तौर से इस बात के लिए जागरूक करना चाहिए कि वह जातिवाद सांप्रदायिकता भय प्रलोभन और किसी तरह के दबाव में मतदान के लिए लोग दूर-दूर तक मजबूर ना हो। यह देखने को मिलता है कि एक उम्मीदवार के रूप में नोटा की उपस्थिति होने के बावजूद उसके प्रचार प्रसार को लेकर भारत निर्वाचन आयोग की भूमिका बेहद निराशाजनक है। हर उम्मीदवार को प्रचार-प्रसार में नोटा के बारे में जानकारी देना अनिवार्य किया जाना चाहिए। मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य से निराश बहुत सारे लोग मतदान का बहिष्कार करके अपना विरोध जताते हैं। ऐसे लोगों के लिए नोटा का विकल्प भी है। मतदान बहिष्कार का मतलब लोकतंत्र का विरोध नहीं , व्यवस्था का विरोध है।