जबाब न देने पर उच्च न्यायालय ने नपाधिकारी पसान को जारी किया जमानती वारंट कहा 5 सितम्बर को हो उपस्थित publicpravakta.com


जबाब न देने पर उच्च न्यायालय ने नपाधिकारी पसान को जारी किया जमानती वारंट


कहा 5 सितम्बर को हो उपस्थित 


अनूपपुर :-  जिले की नगर पालिका पसान में संविदाकार द्वारा किये गये विभिन्न निर्माण कार्य का भुगतान टैक्स काट कर कर दिया गया था किंतु टीडीएस राशि का नपा द्वारा जमा नही किया गया था। बार-बार संविदाकार द्वारा पत्र लिख का निवेदन करने के बाद भी 12 लाख रुपयें जमा नहीं कराने पर अधिवक्ता दीपक पांडे के माध्यम से मामला जबलपुर उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया गया जहां न्यायालय ने नपा पसान और आयकर विभाग शहडोल को नोटिस जारी किया शीध्र जबाब देने के निर्देश के बाद भी जवाब नही दिये जाने उच्च न्यायालय ने नपा पसान पर बीस हजार रुपये का जमानति वारंट जारी करते हुए 5 सितम्बर को उपस्थित होने के निर्देश दिये।


जानकारी अनुसार अनूपपुर जिले की नगर पालिका पसान में संविदाकार धर्मेंद्र चौबे द्वारा 2010 से 2012 तक विभिन्न निर्माण कार्य किये थे जिनका भुगतान टैक्स काट कर कर दिया गया था किंतु टीडीएस राशि लगभग बारह लाख रुपये नगर पालिका द्वारा जमा नही किया गया था, इसके लिए धर्मेंद्र चौबे द्वारा कई बार लिखित आवेदन दिया गया परंतु नपा द्वारा कोई ध्यान नही दिया, जिससे परेशान संविदाकार ने उच्च न्यायालय जबलपुर में अधिवक्ता दीपक पांडे को जानकारी दी, जिस पर अधिवक्ता दीपक पांडे ने सीएमओ को लीगल नोटिस भेजकर टीडीएस सर्टिफिकेट या उक्त राशि के भुगतान बावत रजिस्ट्रड पत्र भेजा था जिसका नपा पसान द्वारा कोई जवाब नही दिया। जबाब न मिलने की स्थ्ति में उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका प्रस्तुत की गई। मार्च 2023 में उच्च न्यायालय ने नपा पसान और आयकर विभाग शहडोल को नोटिस जारी किया वहीं प्रकरण पांच महीने बाद पुन: लगा जिसमें नपाधिकारी द्वारा उच्च न्यायालय की नोटिस का जवाब नही दिये जाने उच्च न्यायालय ने इसे नापधिकारी की उदासीनता मानते हुए नराजगी व्यजक्त  करते हुए रिस्पॉण्डेंट नम्बर दो को बीस हजार रुपये का जमानति वारंट जारी कर 5 सितम्बर को न्यायालय में उपस्थित होने के निर्देश दिये हैं।


ज्ञात हो कि जिले के अधिकारियों ने उच्च न्यायालय के निर्देशो को नहीं माने जिससे शासन को हानि उठानी पड़ती हैं। ऐसे कई मामलों में विभाग समय पर जबाब नहीं देने व न्यायालय प्रस्तुत नहीं होने पर फटकार भी लगाई हैं किन्तु मोटी चमड़ी के अधिकारियों को फर्क नहीं पड़ता।

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