ऋषि, कृषि और श्रमिक भारत देश की मूल ताकत - मौली सरकार
नर्मदा दर्शन के साथ शुरु हुई समरसता स्नेह यात्रा में उमड़े लोग
अनूपपुर :- ऋषि, कृषि और श्रमिक इस देश की मूल ताकत हैं। देश का एक बड़ा वर्ग संपन्न होते ही अपने समाज के अन्य लोगों को हेय दृष्टि से देखता है। इस लकीर को मिटाना है। शबरी के बेर को और मीठा बनाना है। स्नेह यात्रा के इस अभिनव प्रयोग के साथ सामाजिक समरसता की धारा मध्यप्रदेश के सभी 52 जिलों में प्रवाहित हो रही है। बुधवार 16 अगस्त की प्रातः माता नर्मदा के पवित्र उद्गम नगर अमरकंटक में मध्यप्रदेश शासन की जन सरोकार से जुड़ी स्नेह यात्रा का शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अनंत श्री विभूषित जगत् गुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामराजेश्वराचार्य (मौली सरकार) हैं। इस अवसर पर समाजसेवी पं धनेश द्विवेदी वंदे महाराज, रामदास पुरी, हीरासिंह श्याम, मनोज द्विवेदी, जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक उमेश पाण्डेय, फत्ते सिंह, गजेन्द्र सिंह शिकरवार ,रोशन पनाडिया, उमाशंकर पाण्डेय, श्रवण उपाध्याय , दिनेश द्विवेदी, सूरज साहू , विजय सिंह राठौर के साथ अन्य सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। फलाहारी आश्रम में श्रद्धालुओं, समाजसेवी संगठन से जुड़े लोगों और गणमान्य नागरिकों को संबोधित करते हुए मौली सरकार ने कहा कि अनूपपुर जिले के लगभग 110 गाँवों के वंचित वर्ग में समरसता का भाव जागृत करने के लिये स्नेह यात्रा का आयोजन किया जा रहा है।
अमरकंटक से स्नेह यात्रा का हुआ शुभारंभ
मां नर्मदा की उद्गम नगरी अमरकंटक से स्नेह यात्रा का शुभारंभ 16 अगस्त, बुधवार को किया गया। मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद की अगुवाई में जिले के चारों विकासखंड पुष्पराजगढ, अनूपपुर, जैतहरी, कोतमा के लगभग 110 गांव में जातीय वैमनस्यता को समाप्त करके सामाजिक जीवन में एकात्म मानववाद के भाव को मजबूत करने के उद्देश्य से 11 दिवसीय स्नेह यात्रा निकाली जा रही है। स्नेह यात्रा में पूज्य साधु-संतो के सान्निध्य में सामाजिक समरसता स्थापित करने तथा सामाज को विखण्डित करने वाली शक्तियों के विरुद्ध ऊंच-नीच से परे जातियों के एकीकरण के प्रयास किये जायेंगे। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की मंशानुरूप स्नेह यात्रा प्रदेश के सभी जिलों में आयोजित है।
जगह - जगह हुई पुष्प वर्षा
नर्मदा मन्दिर दर्शन- पूजन उपरांत स्नेह यात्रा रामघाट हो कर नाका तिराहे पहुँची। नाका तिराहा ,पोंडकी ,हर्रा टोला,पोंडी, लालपुर सहित अन्य गाँव में सैकड़ों लोगों ने मंगल कलश के साथ स्नेह यात्रा प्रमुख मौली सरकार का पुष्प वर्षा, माल्यार्पण कर भाव भीना स्वागत् किया।
अमरकंटक, पोंडकी, लालपुर, ताली, अमगंवा में जगत् गुरु मौली सरकार ने कहा कि संत शिरोमणि रामानंदाचार्य ने कहा है कि जाति पंथ पूछे नहीं कोय - हरि को भजे सो हरि का होय । आज के विद्वेषपूर्ण वातावरण में हम सबको एकजुट होकर समरस भाव से जाति, पंथ, वर्ण, भाषा ,प्रांत भेद के विरुद्ध समरसता का भाव फैलाते हुए स्नेह और प्रेम के माध्यम से देश को मजबूत बनाना होगा। ईश्वर और प्रकृति भेद नहीं करते, हम सागर हैं...स्नेह के गागर हैं। इस जीवन का परम सत्य.....स्नेह का सागर है, का भाव उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान ने समरसता और मानवता का सिद्धांत प्रस्तुत किया है। प्रकृति कभी भेद नहीं करती, ईश्वर भेद नहीं करते तो हममें आपस में भेद क्यों ? समाज और देश में वैमनस्यता फैलाने वालों पर कडा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि आज के आन्तरिक रुप से कर्म और कृत्यों से कुछ लोग असुर हैं। जो समाज में भेद पैदा करने, देश को तोड़ने , घृणा ,हिंसक भाव, विद्वेष पैदा करने का कार्य कर रहे हैं। मौली सरकार ने कहा कि हमारे राज्य का राजा कुशल है, स्नेही है, धर्म और आध्यात्म की शरण लेने वाला है।
राज्य में कल्याणकारी शासक
जिस राज्य का राजा ऐसा कल्याणकारी भाव रखता है , उनकी योजना से ही संतों के चरण 52 जिलों में पड़ रहे हैं। यह राजनीतिक यात्रा नहीं है। संतों से समाज जोड़ने का आग्रह किया गया है। श्रद्धा और स्नेह की प्रतीक भारतीय मां भगवती नर्मदा जी अविरल धारा समरसता का प्रतीक है। मां सबका कल्याण करती हैं । स्नेह ही परम सत्य है।कटुता, भेद को मिटाना है,स्नेह गागर भर जाना है। सब अपने हैं, एक ही सागर सब को जाना है। स्नेह यात्रा के माध्यम से एकजुट हों। संगठन शक्ति कलियुगे।मध्यप्रदेश की धरती पर पहली बार संत सभी जिलों में सामाजिक समरसता के लिये गाँव - गाँव तक पहुँचने वाले हैं।
समरसता भोज का हुआ आयोजन
स्नेह यात्रा के बीच लालपुर और अमगंवा में समाज के सभी वर्गों के बीच स्नेह यात्रियों ने समरसता भोज में हिस्सा लिया। मप्र शासन के संस्कृति विभाग , शंकर सेवा न्यास ,जन अभियान परिषद द्वारा आयोजित स्नेह यात्रा में गायत्री परिवार, पतंजलि योग समिति , विश्व हिन्दू परिषद के साथ अन्य बहुत से समाजसेवी संगठन ,जन अभियान परिषद के नवांकुर, प्रस्फुटन समितियों के लोग, मेन्टर्स, विभिन्न गाँव के लोग शामिल हैं।