आदिवासी दिवस हर जाति, हर धर्म के लिए- कांग्रेस जिलाध्यक्ष रमेश सिंह publicpravakta.com


आदिवासी दिवस हर जाति, हर धर्म के लिए- कांग्रेस जिलाध्यक्ष रमेश सिंह 


अनूपपुर :- मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देशानुसार  विश्व आदिवासी दिवस के  अवसर पर  जिला कांग्रेस कमेटी अनूपपुर द्वारा  आदिवासी गौरव  पर्व मनाया गया  जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा    ग्राम खुटा  टोला मे 09 अगस्त को  जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रमेश सिंह की अगुवाई में गौरव दिवस पर कार्यक्रम रखा गया था जिसमे कांग्रेस कार्यकर्ता सहित काफी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग उपस्थित रहे । आदिवासी गौरव  पर्व कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि  जिला पंचायत अध्यक्ष प्रीति  सिंह, कांग्रेस जिला अध्यक्ष रमेश सिंह, जिला आजाक्स संघ के संरक्षक  डीएस राव, लक्ष्मण राव रामाधार बैगा  द्वारा बिरसा मुंडा,की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत नगर  मे रैली  के  माध्यम से की गई  जहाँ पारम्परिक ढोल नगाड़े के साथ अमर शहीदों के नाम गगन भेदी नारे लगाकर नगर भ्रमण किया। आदिवासी गौरव  पर्व के  अवसर पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष  रमेश सिंह  ने कहा कि आज का दिन हम सभी के लिए गौरव का दिन है  आदिवासी दिवस हर जाति, हर धर्म के लिए है। आदिवासी दिवस सिर्फ ऐप पर पढ़ें आदिवासियों का नहीं बल्कि हर जाति हर धर्म के भाइयों के लिए हमारे पूर्वजों बिरसा मुंडा, सिद्दु, कान्हू, पोटो हो, पांडु हो, बडाए हो, नारा हो इन सभी वीर पुरुषों ने हम आदिवासियों को पहचान दिलाया है। जिला पंचायत अध्यक्ष प्रीति रमेश सिंह ने  कहा  की जल, जंगल, जमीन को आबाद करने का आदिवासी समुदाय का अपना गैरवशाली इतिहास है. आदिवासी समुदाय खतरनाक जंगली जानवरों से लड़कर जंगल-झाड़ को साफ किया, गांव बसाया, जमीन आबाद किया है. आदिवासी-मूलवासी किसान समुदाय जंगल, जमीन, नदी, पहाड़ों की गोद में ही अपने भाषा-सास्कृतिक पहचान के साथ विकसित होता है. सर्वविदित है कि आदिवासी समुदाय के जंगल-जमीन, सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक आधार को संरक्षित एवं विकसित करने के लिए भारतीय संविधान में विशेष कानूनी प्रावधान किए गए है. स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि गांव के सीमा के भीतर एवं बाहर जो प्राकृतिक संसाधन है जैसे, गिट्टी, मिट्टी, बालू, झाड़-जंगल, जमीन, नदी-झरना, सभी गांव की सामुदायिक संपत्ति है. इस पर क्षेत्र के ग्रामीणों का सामुदायिक अधिकार है. ये सभी अधिकार आदिवासी समुदाय के वीर शहीदों तिलका मांझी, सिद्वू, कान्हू, फूल-झानों, तेलंगा खडिया, सिंदराय मानकी, विंदराय मानकी, बीर बुद्वू भगत, गया मुंडा, कानू मुंडा, बिरसा मुंडा, मानकी मुंडा और जतरा टाना भगत सहित हजारों वीर नायकों के अगुवाई में लंबे संघर्ष और शहादत के बाद मिले. अंग्रेजों के गुलामी से देश की स्वतंत्रता के लिए इन आदिवासी ने अहम भूमिका निभाई, जो स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है.  देश की आजादी के बाद भी आदिवासी समुदाय अपने जल, जंगल, जमीन, भाषा-संस्कृति, पहचान पर हो रहे अतिक्रमणों के खिलाफ लगातार संघर्षरत है.  जंगल, जमीन की रक्षा के लिए आदिवासी-मूलवासी समुदाय ने जाति-धर्म और राजनीति से ऊपर उठकर जनआंदोलनों ने जीत का परचम लहराया है|

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