2.4 लाख कोयला कर्मचारियों के बढ़े हुये वेतन पर रोक लगाने के प्रयास विफल।
हिन्द मजदूर सभा ने न्यायालय मे अधिकारियों की याचिका मे किया था हस्तक्षेप
संतोष चौरसिया
जमुना कोतमा :- अनूपपुर कोल इंडिया लिमिटेड के कुछ अधिकारियों की ओर से अतिउत्साह मे स्वयं उनके संगठन कोल माइंस आफ़िसर ऐसोशियेशन के द्वारा स्वीकार किये गये 5वें केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफ़ारिशों के अनुरूप अधिकरी संवर्ग की वेतन समानता को 1.1.1996 से स्वीकार कर लेने के विरोध मे छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट मे कर्मचारियों के वेतन फर रोक लगाने की याचिका दायर की गई थी। याचिका क्रमांक 14830/2023 पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने स्थगन नही दिया और आज याचिका क्रमांक 4064/2023 मे माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने हिन्द मजदूर सभा के याचिका मे हस्तक्षेप की अनुमति देते हुये वेतन समझौता ११ को लागू करने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।
हिन्द मजदूर सभा की ओर से श्री नाथूलाल पाण्डेय जी की ओर से हस्तक्षेप याचिका दायर की गई। इसमे 1.1.1996 - 31.12.2005 1.1.2006-31.12.2015 1.1.2016 -2026 तक के समझौतों मे केन्द्रीय वेतन आयोग 6 एंव 7 के समकक्ष वेतन लाभ लेने वाले अधिकारी संवर्ग की अचानक कोयला मजदूरों के वेतन समझौते से तुलना और रोक की मांग करने का विरोध करते हुए माननीय न्यायालय को बताया गया कि कोयला मजदूरों ने वेतन आयोग समकक्षता के प्रस्ताव को 1996 से ही नकार दिया था और 6 वेतन समझौते इस अवधि मे हो चुकें है। कोयला मजदूरों का राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इन्टरप्राइजेज की अनुमति से ही 5 वर्षों के लिये औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के सामूहिक सौदेबाजी Collective Bargaining के आधीन होता आया है और माननीय सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया ने राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता को औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 2 P के तहत सेटलमेंट माना है। अतः कतिपय असंतुष्ट अधिकारियों की यह याचिका स्वीकार नही की जानी चाहिये।
विद्वान न्यायाधीश ने हिन्द मजदूर सभा द्वारा प्रस्तुत तर्कों को स्वीकार करते हुये अधिकारियों की याचिका मे हिन्द मजदूर सभा के हस्तक्षेप की याचिका को स्वीकार करते हुये स्थगन देने से इंकार कर दिया। याचिका पर अगली सुनवाई ४ सितंबर को है। कोयला मजदूरों को बढ़े वेतन के भुगतान की सभी बाधायें दूर हुई।
हिन्द मजदूर सभा ने मजदूरों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। अन्य संगठनों ने माननीय न्यायालय को मजदूरों का पक्ष समझाने की जहमत नही उठाई यह एक चिंता का बिषय ज़रूर रहा है। उक्त आशय की जानकारी मजदूर नेता अख्तर जावेद ने दिया