एसईसीएल महाप्रबंधक कार्यालय में उड़ रही सूचना अधिकार की धज्जियां
सूचना के अधिकार का पटल गायब , कहीं साजिश तो नहीं
जमुना कोतमा :- एसईसीएल का जमुना कोतमा क्षेत्र नए महाप्रबंधक की विशेष पोस्टिंग जमुना कोतमा क्षेत्र में एससीसीएल ने इस लिए किया की आमा डांड़ खुली खदान परियोजना जिसका काम 6 माह से बंद था उसे चालू करा सकें यह एक तरफ तो किसानों के बीच में जाकर जमीन पर बैठकर मीटिंग करते हैं दूसरी तरफ इनके अधीनस्थ अधिकारी किसानों के अधिग्रहित जमीनों का रिकॉर्ड में हेराफेरी कर किसानों को नौकरी की पात्रता से वंचित करने का षड्यंत्र करते हैं भूमि रिकॉर्ड की हेरा फेरी की जानकारी किसानों को ना होने पाए इसके लिए उन्होंने सूचना के अधिकार को ही बंद कर दिया नए प्रबंधन के आते ही पहला काम यह किया कि महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष सूचना के अधिकार वाला सूचना पट्ट को हटवा दिया अब किसी को यह पता नहीं कि जमुना कोतमा क्षेत्र का लोक सूचना अधिकारी कौन हैं प्रथम व द्वितीय अपीलीय अधिकारी कौन है उसका पता टेलीफोन नंबर क्या है हमारे एक प्रतिनिधि को जब सूचना के अधिकार का बोर्ड खोजने पर भी सूचना बोर्ड नहीं मिला तो पूछते पूछते तथाकथित लोक सूचना अधिकारी एरिया पीएम के पास पहुंचकर जब सूचना पटल का ना होने की शिकायत की तो वह एक तथाकथित बाबू जिसके जिम्मे लापता सूचना कार्यालय है उसे बुलाकर डांटने लगे की सूचना पट कहां है कहां गया उस दिन वह बाबू पूरे जमुना कोतमा क्षेत्र में रोता फिर रहा है कि सूचना पट्ट कहां गया उस दिन से बाबू भी अपनी सीट पर दिखाई नहीं दे रहा है लगता है सूचना पटल की तरह बाबू को भी महाप्रबंधक ने हटा दिया बंकिम बिहार में आयोजित किसानों के मीटिंग में जब किसानों ने डिस्सेंटिंग लिस्ट मांगा तो उन्हें जवाब मिला कि सभी सरपंचों को लिस्ट दे दी गई है परंतु उन्हें डिसेंडिंग की जानकारी नहीं दी गई है इसी तारतम्य में किसान सूचना का अधिकार के तहत आवेदन करने के लिए जानकारी हेतु सूचना पटल ढूंढना शुरू किया तो सूचना गायब मिला हमारे प्रतिनिधि ने एक सरपंच से संपर्क कर लिस्ट देखनी चाहिए तो सरपंच पति ने बताया कि 1 ग्राम की लिस्ट उससे नहीं दी गई है दूसरे ग्राम की लिस्ट मिला है उसके पंचायत में 2 ग्राम हैं जिसमें हेराफेरी कर जिस किसान की दो किता जमीन ली गई है उसका नाम व जमीन दो अलग-अलग प्रकरणों में दर्ज कर उसे नौकरी की पात्रता से वंचित कर दिया गया है लिस्ट मांगने पर सरपंच पति ने बताया कि उसे मना किया गया है कि लिस्ट किसी को दिखाना नहीं है नहीं तो तुम्हें नुकसान हो जाएगा साथ ही निवेदन किया कि उसका नाम छुपाया जाए एक किसान ने बताया कि उसकी दो किता जमीन ली गई है उसने सूचना के अधिकार के तहत आवेदन किया कि उसे बताया जाए कि नौकरी मिलेगी या नहीं 30 दिन का समय बीतने पर भी उसे जानकारी नहीं दी गई स्मरण रहे कि बहुत से बाहरी लोगों ने किसानों की जमीन का रजिस्ट्री करा लिया है जो मध्यप्रदेश के बाहर के हैं उनके प्रभाव में आकर प्रबंधन वास्तविक स्थानीय किसानों को नौकरी की पात्रता से वंचित करने का षडयंत्र कर रहा है क्षेत्रीय यूनियन के नेता इसलिए चुप है कि उनके बड़े नेता जमीन के इस फर्जीवाड़ा में शामिल हैं उन्होंने किसानों की कई प्लाट औने पौने दाम पर खरीद लिया है जिसका मुआवजा भी भारी भरकम उठा लिए हैं उन किसानों को नौकरी का लालच दिया था जो कि अब संभव नहीं है नौकरी भी बड़े नेताओं के रिश्तेदार ही पाएंगे बेचारे किसान भगवान के भरोसे स्थानीय प्रबंधक के गड़बड़ झाले का शिकार हो रहे हैं पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है