कामधेनु गौशाला परासी की हालत बद से बदतर
55 गायों का नहीं है कोई व्यवस्था
गौशाला का छप्पर हवा में उड़ा कोई देखने वाला नहीं
जमुना कोतमा :- अनूपपुर जिले के ग्रामीण अंचल जहां पर की गायों की सुरक्षा के लिए और उनकी देखरेख के लिए जगह जगह शासन द्वारा लाखों रुपए खर्च करके गौशाला का निर्माण कराया गया है लेकिन समुचित व्यवस्था और रखरखाव के अभाव के कारण वहां पर मौजूद गायों की हालत काफी खराब है जिसका जीता जागता उदाहरण मध्य प्रदेश शासन के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह के गृह नगर परासी में स्थित कामधेनु गौशाला में देखने को मिला जहां पर 55 गाय कुल मिलाकर थी लेकिन उनके भोजन की समुचित व्यवस्था वहां पर नहीं देखी गई वहां पर मौजूद चौकीदार महेश ने बताया कि हम तो भैया सुबह गाय को ढील देते हैं और वह चरकर आ जाती हैं यहां तक कि कामधेनु गौशाला परासी का छप्पर भी हवा में उड़ गया था जिसे देखने और सुनने वाला कोई नहीं है और गायों को यूं कहे कि नारकीय जीवन उक्त गौशाला में जीलाया जा रहा है स्थानीय नागरिकों ने बताया कि उक्त गौशाला को पहले गौरी स्व सहायता समूह द्वारा संचालित किया जाता रहा तब तक वहां पर रहने वाली गायों के लिए समुचित व्यवस्था की जाती रही है और वह सही तरीके से संचालित भी हो रहा था लेकिन जब से उक्त कार्य को ग्राम पंचायत ने अपने जिम्मा में लिया है तबसे गौशाला की हालत बदतर देखी जा रही है ग्रामीणों ने यह भी बताया कि अभी भी गौरी स्व सहायता समूह के नाम पर ही कागजों में समस्त कार्य संचालित हैं लेकिन जमीनी हकीकत में पंचायत द्वारा अपनी मनमानी की जा रही है ग्राम पंचायत परासी के सम्मानित जनों ने लोकप्रिय मंत्री बिसाहूलाल सिंह व जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से मांग किया है कि उक्त गौशाला का औचक निरीक्षण कर उसमें हो रही कमियों को दूर किया जाए साथ ही दोषियों पर कार्यवाही भी की जाए और पुनः पहले की तारा गांव के ही गौरी स्व सहायता समूह को गायों की देखरेख का जिम्मा दिया जाए जिससे कि वह सुचारू रूप से चल सके चौकीदार महेश ने बताया कि जो छप्पर उड़ गया है उसका फोटो सचिव महोदय खींच कर ले गए हैं लेकिन आज तक कुछ हुआ नहीं है ग्रामीणों ने यह भी बताया कि जब से श्रीमती सुशीला बाई सरपंच जीत कर आए हैं तब से भारी अनियमितता देखी जा रही है जिसमें पूर्व में हुए पुलिया निर्माण के कार्य जो कि पूरा हो चुका है उसका पैसा भी पंचायत के खाते में आ गया है लेकिन उसका भुगतान नहीं किया जा रहा है जिसकी शिकायत भी जिला पंचायत में की गई है वहीं दूसरी ओर सरपंच पति द्वारा ग्रामीणों के घरों के सामने सोख्ता गड्ढा खोद वाकर आधा अधूरा छोड़ दिया गया है तोता बनाने के लिए गड्ढा खोले हुए 3 माह बीत चुका है पानी भर गया है खतरा बना हुआ है छोटे बच्चों और जानवरों के लिए