शहीद मदन मोहन सिंह की मूर्ति का एटक द्वारा किया गया अनावरण publicpravakta.com


शहीद मदन मोहन सिंह की मूर्ति का एटक द्वारा किया गया अनावरण


सड़कों पर उतरो ,संघर्ष करो जीत जरूर होगी :  काoअमरजीत कौर


संतोष चौरसिया


कोतमा :- अनूपपुर जिले की ऊर्जा धानी कहीं जाने वाली जमुना कोतमा क्षेत्र मे कालरी श्रमिकों के हित में संघर्ष करने वाले श्रमिक नेता मदन मोहन सिंह को 7 फरवरी 1976 में कायरता पूर्ण धोखे से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शहीद मदन मोहन सिंह की पुण्यतिथि  पर एआईटीयूसी के राष्ट्रीय महामंत्री कॉमरेड अमरजीत कौर के मुख्य अतिथि पर और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हरिद्वार सिंह की अध्यक्षता में मूर्ति का अनावरण किया गया। मूर्ति अनावरण के बाद रामलीला मैदान पर विशाल जनसभा का आयोजन किया गया। सभा के शुरुआत में अतिथियों का स्वागत फूल मालाओं के साथ किया गया उसके बाद जमुना कोतमा क्षेत्र के महामंत्री लालमन सिंह द्वारा स्वागत भाषण दिया गया। स्वागत भाषण के बाद कामरेड दीपेश मिश्रा कामरेड रामायण कुलदीप कामरेड मनोज पांडे कामरेड कन्हैया सिंह कामरेड अजय विश्वकर्मा ने शहीद मदन मोहन सिंह संघर्ष को याद करते हुए उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें उसके बाद जेबीसीसीआई सदस्य तथा एआईटीयूसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हरिद्वार सिंह द्वारा सभा को संबोधित किया गया और उन्होंने बताया कि एटक यूनियन श्रमिकों के हित में काम करने वाली सबसे पुरानी श्रम संघ है जो 1920 में भारत के औद्योगिक क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों के हित में बनाई गई थी। इस यूनियन का इतिहास रहा कि मजदूर के हितों के साथ-साथ देश की आजादी में भी इस यूनियन का विशेष योगदान रहा अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के ऊपर साइमन कमीशन जैसे खतरनाक बिल लाया गया जिसका विरोध करने पर महान क्रांतिकारी लाला लाजपत राय को अंग्रेजों द्वारा लाठी से पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी गई थी उनकी हत्या का विरोध करने वाले  महान क्रांतिकारी लाला लाजपत राय की मौत का बदला सेंडरसन की खुलेआम गोली मारने  वाले भगत सिंह ,सुखदेव और राजगुरु जैसे महान क्रांतिकारी इसी यूनियन के सदस्य रहे। श्री सिंह ने आगे बताया कि पहले कोयला खदान निजी हाथों में रहे उस समय पूंजीपतियों के द्वारा श्रमिकों का शोषण किया जाता था शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वालों में 1 नाम मदन मोहन सिंह का भी रहा जिन्होंने श्रमिकों के हितों के लिए ने प्राणों की आहुति दे दी आज हम उनकी प्रतिमा का अनावरण करते हुए अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं । इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि दिल्ली से  आई ए आई टी यू सी (एटक) की राष्ट्रीय महामंत्री कामरेड अमरजीत कौर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि शहीद मदन मोहन सिंह कोई व्यक्ति नहीं बल्कि वह एक विचार हैं उन्होंने श्रमिकों को अपने हकों की लड़ाई के लिए संघर्ष करने का जुनून पैदा करता है। कामरेड कौर बताया कि हम 105 देशों के अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ के पदाधिकारी भी हैं जहां पर विभिन्न देशों से आने वाले प्रतिनिधियों के साथ श्रमिकों के हित के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर बात रखते हैं। आज हमारा देश पूजी पतियों के हाथों में ज्यादा दिखाई दे रहा है यहां की श्रमिक विरोधी सरकार सरकारी आंकड़ों को भी मानने के लिए तैयार नहीं हो रही है उन्होंने बताया कि हमारे देश मे 1% अमीर व्यक्तियों के पास 40.5 परसेंट धन है जबकि 50% से ज्यादा गरीब जनता के पास मात्र 3% ही धन है साथ ही उन्होंने बताया कि हमारे देश की 35 करोड़ जनता भूखमरी की श्रेणी में आती है जिसमें 65 परसेंट बच्चे  कुपोषण से मर रहे हैं। कॉमरेड कौर ने आगे बताया कि क्राइम ब्यूरो का आंकड़ा है कि देश में जो भी आत्महत्या होती हैं उसमें 25% आत्महत्या करने वाला मजदूर होता है जो अपनी आर्थिक सामाजिक स्थितियों से हार कर आत्महत्या में मजबूर होता है आत्महत्या किसी भी कीमत में नहीं करना चाहिए मैं इसके पक्ष में नहीं हूं अपने हकों की लड़ाई के लिए हमें सड़कों पर उतरकर संघर्ष करना चाहिए और जीत हमें जरूर मिलेगी इसके लिए अभी किसानों के द्वारा किए गए आंदोलन एवं सरकार द्वारा किसान विरोधी कानून को वापस लिया जाना हमें प्रेरणा देता है। हमारा देश दुनिया का सबसे युवा देश है यहां की 65 परसेंट आबादी युवाओं की है युवाओं के लिए हमारे देश की सरकार क्या कर रहे हैं जहां देश के वित्त मंत्री युवाओं के लिए पकोड़े तलने की बात करती हैं क्या पकोड़े तलने से शिक्षित टेक्निकल युवा अपने परिवार का भरण पोषण कर सकता है क्या वह युवा इस महंगाई में अपना जीवन ज्ञापन कर सकता है यह केंद्र में बैठी सरकार 2 करोड़ों युवाओं को प्रतिवर्ष रोजगार देने की बात कह रहे थे क्या देश में 9 साल के भीतर 18 करोड़ रोजगार उपलब्ध हो पाए हैं प्रदेश में बैठी बहरी सरकार जो आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की पंद्रह सौ रुपया वेतन से काट ली हो ऐसी सरकार पुनः प्रदेश में आनी चाहिए इसके लिए हम सबको आपसी चर्चा कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहिए। 1920 में ट्रेड यूनियन का गठन होने के बाद सबसे पहले मजदूरों के लिए 8 घंटा काम 8 घंटा आराम और 8 घंटा सामाजिक गतिविधियों के लिए कानों में लाया गया था किंतु देश में मोदी सरकार के आते ही इस कानून का हटाने का प्रयास किया गया जिसे अंतर्राष्ट्रीय फोरम में रखकर इसका विरोध किया गया तब कहीं जाकर मोदी सरकार द्वारा 8 घंटे के बजाय 12 घंटे काम करने के लिए जो कानून लाया जा रहा था उस बिल को हटाया गया ।इस कार्यक्रम में एसईसीएल की क्षेत्रों से एटक यूनियन के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी हजारों की संख्या में उपस्थित रहे।

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