नवागत कलेक्टर आशीष वशिष्ठ का नवाचार जन कल्याणकारी publicpravakta.com


नवागत कलेक्टर आशीष वशिष्ठ का नवाचार जन कल्याणकारी


मंशा पवित्र .....आम जनता को आपसे बड़ी उम्मीदें ---- मनोज द्विवेदी


अनूपपुर :- जिले के नवागत कलेक्टर  आशीष वशिष्ठ ने जिला आगमन के साथ ही सेवा यात्रा जैसे महत्वपूर्ण अभियान में व्यस्तताओं के बावजूद जिस तरीके की प्रशासनिक कसावट के संकेत दिये हैं, उसके चलते जिले की जनता की उनसे काफी उम्मीदें जाग गयी हैं । 2003 में अनूपपुर जिला गठन के बाद जिले में बहुत से अच्छे कलेक्टरों ने अपने - अपने स्तर पर नवाचार किये हैं । तमाम अच्छाईयों और उनके द्वारा किये गये महत्वपूर्ण कार्यों के बावजूद जिले में प्रशासनिक कसावट की बड़ी दरकार है। श्री वशिष्ठ की छवि उमरिया, जबलपुर जैसे अन्य जिलों में धीर , गंभीर, अनुशासित, ईमानदार और समय के पाबंद अधिकारी के रुप में रही है। अनूपपुर में जन सुनवाई का समय प्रात: दस बजे करने के बाद  उन्होंने इसमें शामिल होने वाले आम नागरिकों को सामने बैठा कर उनकी समस्याएं सुनने की परंपरा शुरु की है। यह कलेक्टर की लोकतांत्रिक परंपराओं पर सूक्ष्म समझ को रेखांकित करता है। इससे उन्होंने जिले की जनता के प्रति संवेदनशीलता  को  प्रदर्शित किया है। पत्रकार, समाजसेवी या भाजपा नेता के रुप में मेरी उनसे अभी कोई औपचारिक / अनौपचारिक भेंट या वार्ता नहीं हुई है। लेकिन उनकी कार्य शैली और लोक व्यवहार को लेकर मुझमें उत्सुकता जरुर है। 

बहरहाल ! प्रति मंगलवार कलेक्ट्रेट के नर्मदा सभागार में आयोजित होने वाली जनसुनवाई अब राज दरबार जैसा तो बिल्कुल भी नहीं होगा। अब तक होता ये था कि विभिन्न समस्याओं को लेकर जिले के दूर दराज के हिस्सॊं से लोग बडी उम्मीदें लेकर कलेक्टर के पास आते थे ...आते हैं। सब डिविजन स्तर पर प्रशासनिक विफलता से दुखी या स्वयं के साथ अन्याय होने की दशा में लोग कलेक्टर के पास न्याय की आस लिये आते हैं। कलेक्ट्रेट पहुंचने पर उनसे जैसा सरल ,सौम्य, सहज ,संवेदनापूर्ण व्यवहार होना चाहिए , वैसा होता दिखता नहीं है। बहुत बार अधिकारियों का व्यवहार भी इनके साथ डांट - डपट वाला रहा है। आम जनता जन सुनवाई में हाथ बांधे घंटों खड़े रहते हैं और उनके आवेदनों को , उनकी बातों को समय दे कर सुना ,पढा तक नहीं जाता। 

ऐसी परिस्थितियों से निश्चित रुप से नवागत कलेक्टर श्री वशिष्ठ को दो - चार होना पड़ा होगा। उन्होंने महसूस किया है कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार जिस तरह से आम जनता के लिये सहज , सुलभ और संवेदनशील है , उसकी झलक जिला की  प्रशासनिक व्यवस्था में भी जरुर दिखनी चाहिए। अब जन सुनवाई सुबह दस बजे से शुरु हो जाएगी। आम जनता को हाथ बांधे नहीं खड़ा रहना होगा। जिले के अधिकारी आदर के साथ उन्हे सम्मुख बैठा कर उनकी समस्याएं सुनेगें। सिर्फ सुनेगें या आवेदन लेगें भर नहीं । बल्कि एक सप्ताह में उसे निराकृत भी करेंगें। श्री वशिष्ठ ने कहा है कि एक सप्ताह में यदि कार्यवाही नहीं हुई तो संबंधित पक्ष सीधे कलेक्टर से उनके चैंबर में जाकर उन्हे इसकी सूचना देगें। तब आगे की कार्यवाही स्वयं कलेक्टर करेंगे।

     सेवा यात्रा को लेकर कलेक्टर बहुत सक्रिय हैं। कोतमा में सेवा यात्रा में मुझे शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ है। मैने देखा है कि प्रतिदिन सेवायात्रा की गतिविधियों , हितग्राहियों से संपर्क , उन्हे योजनाओं संबंधी मदद की समीक्षा कलेक्टर सुबह - शाम नियमित रुप से कर रहे हैं। 

    जाहिर है कि नवागत कलेक्टर आशीष वशिष्ठ को अभी जिले में आए हुए कुछ दिन ही हुए हैं। इतने कम वक्त में जनता की अपेक्षाएं उनसे बढ गयी हैं। सिर्फ उनसे उम्मीदें करना यह दर्शाता है कि जिले की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। आपसी खींचतान से ऊपर उठ कर जन प्रतिनिधियों , समाजसेवियों, पत्रकारों को भी जिला प्रशासन की मदद करते हुए, उनकी मदद से जनता से जुड़े कार्यों, विकास कार्यों को लेकर सकारात्मक रुख रखने की जरुरत है। तत्कालीन कलेक्टर्स कवीन्द्र कियावत, जे के जैन, नन्दकुमारम, नरेन्द्र परमार से लेकर सोनिया मीणा तक का इतिहास इस मामले में बहुत अच्छा नहीं रहा है। इन बेहतरीन अधिकारियों के विरुद्ध यहाँ के जन प्रतिनिधियों ने ही मोर्चा खोल रखा था। 

 हमारा जिला है, लोग हमारे हैं, यदि कोई अधिकारी अच्छे और जनकल्याकारी भाव से कार्य करने की सदिच्छा रखता है तो यदि कोई बड़ी और गंभीर शिकायत ना हो तो हम सबको जिले के और आम जनता के हितों के अनुरुप सहयोगात्मक ,सकारात्मक रवैया बनाए रखने की जरुरत है। 

   कलेक्टर श्री वशिष्ठ का अन्य जिलों में पिछला ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहा है। अनूपपुर अपेक्षाकृत छोटा और जनजातीय बहुल जिला है । लोग सरल ,सहज, सीधे हैं । उनके साथ भी ऐसा ही बर्ताव हो। कुछ आदतन शिकायती लोग भी हैं । जो कलेक्टर के बदलते ही पुरानी शिकायतों को नया रंग देने का प्रयास करते हैं। अच्छे प्रशासक के रुप में न्यायोचित कार्यवाही ही हो  अधिकारियों के शिकायतों में डूबने , विवादों में पडने का नुकसान समूचे जिले को होता है। क्योंकि तब एक अच्छा अधिकारी अपनी पूरी क्षमता, पूरी उर्जा ,पूरे लय से कार्य नहीं कर पाता। जनप्रतिनिधियों, पत्रकारों, समाजसेवियों, अधिकारियों से बेहतर समन्वय के बूते आप माता नर्मदा के उद्गम जिले में इतिहास रच सकते हैं । 

नर्मदे हर

एक टिप्पणी भेजें

MKRdezign

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *

Blogger द्वारा संचालित.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget