ब्रम्हलीन शारदानंद महाराज जी को हजारों लोगों ने दी श्रद्धांजलि publicpravakta.com


सबके हृदय में गुरुदेव के दर्शन -- स्वामी हरिहरानन्द सरस्वती


ब्रम्हलीन शारदानंद महाराज जी को हजारों लोगों ने दी श्रद्धांजलि


अनूपपुर/अमरकंटक :- जब परमपूज्य श्री गुरुदेव ब्रम्हलीन हुए तो शुरु के कुछ दिन मन बहुत विचलित था। गुरुदेव के जाने के बाद मन को बहुत समझाया। लेकिन ये समझ आया कि किताबी और शास्त्रीय ज्ञान अलग है और व्यवहारत: अलग। जिस पर बीतती है ,वही समझ सकता है। लेकिन फिर गुरुदेव की शिक्षा ,उनके आदेशों का स्मरण हुआ। उन्होंने कहा था कि गीता में भगवान श्री कृष्ण के उपदेश ही सत्य हैं। तत्व ही गुरु हैं। यही तत्व ज्ञान है। संसार मिथ्या है  लेकिन गीता और तत्व ज्ञान ही शाश्वत है। अब लगता है कि हम आप सब में ,सभी के हृदय में गुरुदेव विराजमान हैं। अबआप सबके हृदय में मुझे परमपूज्य श्री गुरु देव के दर्शन हो रहे हैं। अमरकंटक स्थित मृत्युंजय आश्रम में 20 जनवरी, शुक्रवार को ब्रम्हलीन आदरणीय श्री शारदानंद सरस्वती जी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पण हेतु आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं, शिष्यों ,गणमान्य जनों को संबोधित करते हुए दैवी संपत मंडल के प्रमुख आचार्य आदरणीय स्वामी हरिहरानन्द सरस्वती जी महाराज ने उपरोक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरुजी के आदेशों , उनकी जनकल्याणकारी योजनाओं को पूरा करने के लिये मुझे

आपके कंधे, आप सबका साथ चाहिए। वनवासियों, जनजातीय बन्धुओं, पीड़ितों की नि: स्वार्थ सेवा ही हमारा ध्येय है। यहाँ एक 

वेद विद्यालय खोलने की उनकी मंशा थी , जिस पर कार्य किया जाएगा।  

स्वामी शारदा नन्द जी को याद करते हुए ,श्रद्धांजलि देते हुए बहुत भावुक और व्यथित हो गये स्वामी हरिहरानन्द  सरस्वती जी ने कहा कि महाराज जी की प्रेरणा है कि भगवत भजन के साथ दीन - हीन, असहायों, गरीब वनवासी बन्धुओं का सहयोग करो। उन्होंने लोगों से कहा कि परिक्रमावासियों की सेवा और कैसे बेहतर कर सकते हैं, यह सुझाव हमें दें। मैं परमपूज्य महाराज जी के चरणों में अपना सब कुछ अर्पित करता हूँ । उनके आदेशों को पूरा करने के लिये अपने प्राण न्यौछावर कर दूंगा । 

महाराज जी के सभी आदेशों और योजनाओं को पूरा करना है।

इससे पूर्व मंचासीन शांति कुटी के   

स्वामी रामभूषण दास जी महाराज ने स्वामी हरिहरानन्द जी,स्वामी राम राजेश्वरानंद, 

स्वामी नर्मदानंद जी,आचार्य अतुल कृष्ण दुबे, वंदे महाराज, नीलू महाराज, बंटी महाराज, नर्मदा मन्दिर के समस्त पुजारी गण, रामलाल रौतेल, सुदामा सिंह सिंग्राम ,मनोज द्विवेदी, उमेश पाण्डेय, अजय शुक्ला, योगेश दुबे, राजेश शिवहरे, राजेश शुक्ला, राजेश पयासी, चैतन्य मिश्रा, अमित शुक्ला, रामगोपाल द्विवेदी, उमाशंकर पाण्डेय, श्रवण तिवारी,

आचार्य सुभेष शर्मन , पवन गर्ग,

डा गिरधारी अग्रवाल,राम अवतार जी,गुलाब खेतान ,गजानंद अग्रवाल के साथ अन्य हजारों लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस जिसने महाराज जी का सान्निध्य प्राप्त किया होगा वो वही  कहेगा कि महाराज जी सबसे अधिक प्रेम मुझसे ही करते थे। उनकी कथनी, करनी ,उनका व्यवहार हमारे लिये आदेश होती थी। वे सूर्य की तरह हमारे पथ प्रदर्शक थे। वे ब्रह्म स्वरुप में, नारायण स्वरुप में हमारे ईश्वर तुल्य रहेगें। वे हजारों वर्षों तक अपने शिष्यों, अपने भक्तों का पोषण ,पालन करते रहेगें। स्वामी नर्मदानंद जी महाराज ने कहा कि स्वामी हरिहरानन्द जी के रुप में परमपूज्य गुरुजी साक्षात् विराजमान हैं। आप जो आदेश देंगे वह गुरुजी के आदेश के रुप में सब के अनुकरणीय होगा। 

इससे पूर्व  माता नर्मदा की पवित्र नगरी अमरकंटक स्थित मृत्युंजय आश्रम में 20 जनवरी , शुक्रवार को ब्रम्हलीन आदरणीय श्री शारदानंद जी महाराज को श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।  परमपूज्य स्वामी श्री हरिहरानन्द सरस्वती जी महाराज की विशेष उपस्थिति में संपन्न इस श्रद्धांजलि एवं भण्डारा कार्यक्रम कई राज्यों के हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में प्रात: 8 बजे मैनपुरी के श्रद्धालुओं द्वारा सस्वर सुन्दरकाण्ड का पाठ किया गया। तत्पश्चात पूर्वान्ह 10 बजे से ब्रम्हलीन शारदानंद जी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। मध्यान्ह 1 बजे देर शाम तक  भण्डारा प्रसाद का वितरण किया गया। महाराज जी के द्वारा सभी गरीबों और श्रद्धालुओं को कंबल वितरण किया गया।

एक टिप्पणी भेजें

MKRdezign

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *

Blogger द्वारा संचालित.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget