जोशीमठ में प्रारंभ किया गया नित्या अनुष्ठान और सहस्त्र चंडी पाठ श्रीधर शर्मा
सहस्त्र चंडी पाठ 10 लाख मन्त्रों से 100 दिन में प्रति दिन 6 घंटे किया जाना हुआ सुनिश्चित
जोशीमठ में आए संकट और यहां के रहवासियों के हितार्थ मकर संक्रांति के पावन अवसर पर मंगलकामना करते हुए आपदा वाले क्षेत्र में ही नित्या अनुष्ठान प्रारंभ कर दिया है और साथ ही सहस्त्र चंडी पाठ का प्रारंभ कर दिया है। सहस्त्र चंडी पाठ 10 लाख मन्त्रों से 100 दिन में प्रति दिन 6 घंटे किया जाना सुनिश्चित किया गया है और जोशीमठ के समस्त पुजारियों एवं पंडितों के द्वारा नित्या अनुष्ठान में यथासंभव सहयोग प्रदान किया जा रहा है। जोशीमठ पर सरकार द्वारा विकास कार्यों के नाम पर टनल बनाने का प्रयास किया और पर्वतों पर जब आधुनिक संसाधनों का प्रयोग कर जोशीमठ की प्राकृतिक छटा को बिखेरने का प्रयास किया गया तो प्रकृति का भयानक रूप सामने आया और पर्वतों के ढहने के कारण आपदा जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई, जिससे आसपास के रहवासियों का रहन सहन भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इस आपदा की घड़ी में पश्चिम-उत्तराम्नायपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु- शंकराचार्य ज्योतिर्मठ, बदरिकाश्रम(हिमालय) परम पूज्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने राज राजेश्वरी मां भगवती की शरण ली और प्रार्थना करते हुए कहा है कि पूर्व में आई प्राकृतिक विपदाओं से आपने जिस प्रकार से इस पृथ्वी की रक्षा की है, भक्त प्रह्लाद की रक्षा की है, उसी प्रकार हे मां, हम सभी आपकी शरण में हैं और आप हमारी रक्षा कीजिए। इस प्रकार से पूर्ण विस्वास के साथ स्वामी जी ने नित्या अनुष्ठान और सहस्त्र चंडी पाठ का प्रारंभ कर दिया है। पूरे शहडोल संभाग के लिए बड़े ही गर्व की बात है कि महाराज शंकराचार्य जी ने परम धर्म सांसद श्रीधर शर्मा जी को इस जोशीमठ में आई आपदा और संकट की घड़ी में अपनी जान की परवाह किए बिना जोशीमठ की जनता के साथ खड़े हैं। परम् धर्म सांसद शहडोल श्रीधर शर्मा ने बताया कि यहां की स्थिति दयनीय है और हमें पूर्ण विश्वास है कि मां भगवती हमें इस संकट की घड़ी से सुरक्षित निकालेंगी और हमारी रक्षा करेंगी।