एक परिषर एक शाला के तहत 30 किलोमीटर दूर हाई स्कूल में एकीकृत हो गया प्राथमिक विद्यायल मौहरी
विभागीय लापरवाही का खामियाजा भोग रहे है छात्र और शिक्षक
अनूपपुर :- आदिम जाति कल्याण विभाग मध्यप्रदेश द्वारा स्कूली शिक्षा विभाग में पूर्व से संचालित योजना एक परिसर एक शाला को शैक्षणिक सत्र 2020- 21 में स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहतर करने और शिक्षकों की कमी बावजूद बेहतर शैक्षणिक व्यबस्था देने के उद्देश्य से प्रदेश के 20 आदिवासी जिलों की 89 आदिवासी तहसीलों के एक ही परिषर में या 150 मीटर के दायरे में संचालित हो रहे प्राथमिक विद्यालय से लेकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तक के अलग अलग संचालित हो रहे विद्यालयो को एक परिसर एक शाला के तहत एक ही संस्था के रूप में संचालित किए जाने का प्रस्ताव लाया गया जिसके संचालन का आदेश 12 / 04 / 2020 को जारी कर दिया गया लेकिन शासकीय योजनाओं की कछुआ चाल के चलते इस योजना को अमलीजामा शैक्षणिक सत्र 22- 23 में पहनाया जा सका लेकिन यह योजना अपने शुरुवात से ही विभागीय लापरवाही का शिकार हो रही है जिसका खामियाजा स्कूल के बच्चे और शिक्षक भोग रहे है ।
अनूपपुर में सर्व शिक्षा अभियान विभाग के जिम्मेदारों ने जैतहरी ब्लाक अंतर्गत सकरा संकुल के प्राथमिक विद्यालय मौहरी को 30 किलोमीटर दूर हाई स्कूल सोनमौहरी संकुल अमगवा में एक परिसर एक शाला के तहत एकीकृत कर दिया जिसका खामियाजा छात्र और शिक्षक भोग रहे है । अब चाहे भले ही तकनीकी त्रुटि का बहाना बनाकर जिम्मेदार अपनी गलती पर पर्दा डालने की कोसिस करे लेकिन उनकी इस गलती से अब तक विद्यालय के बच्चो की मैपिंग और छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन फीडिंग नही हो पाई है
दो वर्ष पूर्व जारी हुआ आदेश
आदिम जाति कल्याण विभाग मध्यप्रदेश द्वारा स्कूली शिक्षा विभाग में पूर्व से संचालित योजना एक परिसर एक शाला को शैक्षणिक सत्र 2020- 21 में आदेश क्रमांक 12-4/2020/25-2/891 भोपाल द्वारा एक परिसर एक शाला के दिशा निर्देश जारी किए गए । जिसमे प्रदेश के 20 आदिवासी जिले की 89 आदिवाशी विकाशखण्डों में लागू करने का निर्णय लिया गया विभाग द्वारा एक ही परिषर या 150 मीटर के परिधि में संचालित 10506 विद्यालयों को एकीकृत कर 4746 शालाओ के रूप में संचालित करने के दिशा निर्देश जारी किए गए ।
जिसमे अनूपपुर जिले में 1554 प्राथमिक/माध्यमिक विद्यालय थे जो एक परिसर एक शाला योजना लागू होने के बाद 1210 प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय रह गए है । इस तरह जिले में कुल 344 प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय इस योजना के तहत एकीकृत कर दिए गए ।
इस योजना के लागू होने से पहले और अब में क्या होगा फर्क
एक परिसर एक शाला योजना लागू होने से छात्र/छात्राओं पर प्रथम दृष्टया कोई बड़ा अंतर नही आएगा लेकिन शालाओ प्रधानाध्यापक और प्राचार्यो पर इसका सीधा असर पड़ेगा। 150 मीटर के अंदर आने वाले विद्यालयों में हर जगह एक अलग- अलग प्रधानाध्यापक/ प्राचार्य होते है और हर एक संस्था का अपना एक डाइस कोड होता है जिससे संस्था के समस्त डाटा ऑनलाइन फीड किए जाते है । लेकिन एक परिसर एक शाला योजना लागू होने से एकीकृत शालाओ का संचालन, सम्पूर्ण प्रशासन एक ही प्रधानाध्यापक/प्राचार्य के नियंत्रण में रहेगा और सभी शालाओ का डाइस कोड ब्लॉक हो जाएगा और एक ही संस्था जिसमे सभी शालाएं एकीकृत हुई है सारा काम उसी संस्था के डाइस कोड से होगा ।
क्या है एकीकृत का उद्देश्य
प्रदेश में स्कूलों के संचालन के लिए जो नीति बनाई गई है उसमें प्राथमिक विद्यालय में 30 बच्चो पर एक शिक्षक 30 से ऊपर में 2 शिक्षक और 60 से ज्यादा बच्चे होने पर 3 शिक्षक का प्रावधान है इसी प्रकार माद्यमिक विद्यालय में 3 शिक्षक का प्रावधान है । लेकिन प्रदेश में एक परिसर के अंदर ही और 150 मीटर के दायरे में कई ऐसे विद्यालय संचालित है जहाँ बच्चों की संख्या कम है और शिक्षक ज्यादा पदस्थ है और कही बच्चे ज्यादा है और शिक्षकों की कमी है और ज्यादातर प्रभारी संस्था के कार्यो में ही उलझे रहते है यह व्यवस्था लागू होने से सभी अलग अलग शालाओ के शिक्षक एक ही शाला में एकीकृत हो जाएंगे और प्राचार्य बेहतर तरीके से बच्चो का पठन पठान कार्य कर सकेंगे ।
30 किलोमीटर दूर एकीकृत हो गई
जैतहरी ब्लाक अंतर्गत सकरा संकुल का प्राथमिक विद्यालय मौहरी 30 किलोमीटर दूर हाईस्कूल सोनमौहरी संकुल अमगवा में एकीकृत हो गया जबकि एक परिसर एक शाला योजना में स्पष्ट निर्देश है कि एक परिसर में संचालित शाला या 150 मीटर के दायरे में संचालित होने वाली शालाओ को ही एकीकृत किया जाना है लेकिन जिम्मेदारों की गलती की वजह से अब तक विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र , छात्राओं की मैपिंग और छात्रवृत्ति की ऑनलाइन फीडिंग नही हो पाई है । क्यो की शाला के एकीकृत हो जाने के कारण शाला का डाइस कोड ब्लाक हो गया है ।
संस्था की प्रधानाध्यापक ने डीपीसी को लिखा पत्र
संस्था की प्रभारी ने बताया कि जब वह बच्चो की छात्रवृत्ति और मैपिंग के लिए ऑनलाइन फीडिंग कराने गई तो संस्था के डाइस कोड से कोई डाटा आपने नही हो रहा था उसके बाद उन्होंने संकुल स्तर और फिर डीपीसी को पत्र लिखकर इसकी सूचना दी ।
इनका कहना है
जब मैं शाला के बच्चो की छात्रवृत्ति और मैपिंग की ऑनलाइन फीडिंग करवाने गई तब संस्था के डाइस कोड से कोई डाटा नही खुल रहा था, तब मुझे पता चला कि मेरा विद्यालय 50 किलोमीटर दूर सोन मौहरी हाई स्कूल में एकीकृत हो गया है । उसकी जानकर वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र के माध्यम से और व्यक्तिगत मिलकर दी हु
सुशीला संत
प्रधानाध्यापक, प्राथमिक विद्यालय मौहरी
हमारे यहाँ से जो प्रस्ताव भेजा गया था उसमें प्राथमिक विद्यालय मौहरी संकुल सकरा स्वतंत्र प्राथमिक विद्यालय था क्योंकि इसके आसपास कोई माध्यमिक विद्यालय या हाई स्कूल नही है , यह विद्यालय सोनमौहरी हाई स्कूल में कैसे एकीकृत हो गया इसकी मुझे कोई जानकारी नही है ।
डी आर बांधव
बी आर सी जैतहरी
इस संबंध में जब डीपीसी हेमेंद्र खैरवाल से फोन पर उनका पक्ष पूछने के लिए फोन लगाया गया तो उन्होंने फ़ोन नही उठाया