ग्रामीणों की आय का जरिया बना चकौड़ा दोपहिया वाहन चालको के लिए हो सकता है जानलेवा साबित ?
अनूपपुर :- इन दिनों खरपतवार चकोड़ा की आवक शुरू हो गई है ,पहले बेकार समझा जाने वाला चकोड़ा बीज अब ग्रामीणों के लिए आय का जरिया बन गया है। गरीब परिवार के सदस्य इसके बीज से अच्छी आमदनी कर रहे हैं। जानकर बताते है कि चकौड़ा के बीज का उपयोग कुछ आयुर्वेदिक दवा बनाने व अन्य खाद्य पदार्थो में होता है लेकिन अधिकृत रूप से इसकी पुष्टि नही हुई है । चकोड़ा के बीज को स्थानीय व्यापारी सस्ते दामो में खरीदकर दूसरे शहरों में महंगे दामो में भेज रहे है । लेकिन ग्रामीण के आय का जरिया बने चकौड़ा के बीज को निकालने के लिए ग्रामीण जिस तरीके को अपनाते है वह दोपहिया वाहन चालकों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है ?
बारिश में अपने आप उगता है चकौड़ा
बारिश की शुरुआत होने पर ही जब यह पौधा पनपता है। ग्रामीण क्षेत्र में इसकी भाजी भी खाई जाती हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इसकी भाजी खाने से वर्षाकाल में होने वाले रोगों से रक्षा होती है ।
दोपहिया वाहनों के लिए जानलेवा हो सकते है सड़क पर फैले चकौड़ा कि सूखे पौधे
ग्रामीण अनूपपुर से अन्यत्र जाने वाली सड़को पर खरपतवार चकोड़ा के सूखे पौधों को लेकर सड़क में फैला देते है जिससे वह से गुजरने वाले वाहन जब उस पर से गुजरते है तो चकोड़ा के पौधों में मौजूद बीज बाहर आ जाते है जिसे ग्रामीण समेटकर बाजार में बेचते है जिससे उन्हें कुछ मुनाफा होता है । लेकिन सड़क पर फैले खरपतवार चकोडे के सूखे पौधों से दोपहिया वाहनों के फिसलने का खतरा बना रहता है और दोपहिया वाहन चालकों के लिए दुर्घटना का कारण बन सकते है ।