आमाडांड ओसीपी खान का प्रबंधन साबित हुआ अकर्मण्य
45 दिन बंद रहा शॉवेल, प्रबंधन का भ्र्ष्टाचार हुआ उजागर
अनूपपुर/जमुना कोतमा :- एस ई सी एल का जमुना कोतमा क्षेत्र प्रबंधन की कुनीतियों के कारण पूरी तरह से बर्बादी के कगार में है। प्रबंधन के कुनीतियों और कर्मों का दुष्फल का परिणाम यह हुआ कि प्रबंधन अपने बचाव में श्रमिकों का संडे और पी एच डी ड्यूटी बंद कर आर्थिक प्रताड़ना दे रहा है। अपने भ्र्ष्टाचार को छुपाने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाकर श्रमिकों का शोषण कर रहा है। खान का शावेल मशीन क्रमांक 588 लगातार 45 दिन बंद रहा फिर भी इसकी जानकारी पूरे दिनों कि कंपनी मुख्यालय न देकर फर्जी ओबी उत्पादन कि रिपोर्टिंग देकर गुमराह किया। खान में जमीन ,मशीन, डम्पर, डोजर,कलपुर्जे की उपलब्धता और रख रखाव की जिम्मेवारी प्रबंधन की है। श्रमिक तो केवल आदेशानुसार कार्य करता है, प्रबंधन श्रमिक को मशीन कलपुर्जे उपलब्ध करवा पाने में असमर्थ्य है तब कौन दोषी,जिम्मेवार और अकर्मण्य कौन है। महीनो से प्रतिदिन सैकड़ो लीटर डीजल का दुरूपयोग कर ठेकेदारी पी -6 पैच कंपनी का विभागीय टाटा बैक हो मशीन लगाकर कोयला लोडिंग करवाया जा रहा है, जबकि ठेकेदारी पैच से ठेका प्रथा से पेलोडर से कोयला उठाने का वर्क आर्डर जारी है। स्पष्ट है कि पेलोडर के ठेकेदार को आर्थिक लाभ पहुंचकर उसे आर्थिक लाभ पहुंचते हुए भ्रष्टाचार किया जा रहा है और टाटा मशीन से कोयला उठाये जाने के काम को फर्जी ओबी उत्पादन और मानसून के काम किये जाना दर्शाया गया। मानसून के काम से कई लाख रूपये आवंटित हुआ है, नाम मात्र का काम ठेकेदार से करवाकर पूरा काम ही रफा दफा कर दिया गया। खान में दो शॉवेल मशीन ओबी उत्पादन के कार्य में संचालित है किन्तु कभी एक कभी अधिकतम तीन डम्पर ऑपरेशन में लिए जाने और साल भर में कुछ ही दिन शॉवेल मशीन कार्य योग्य होने से ओबी उत्पादन विभागीय पैच से नाम मात्र होने पर भी फर्जी ओबी उत्पादन प्रतिदिन दर्शाया जाता है। फर्जी ओबी उत्पादन के हिसाब से फर्जी कोयला उत्पादन, कोयला में पत्थर मिलाकर दर्शाया जाता है। अन्यथा फेस से कोल् स्टॉक तक परिवहन कार्य कर रहे टिप्पर कि क्षमता से ज्यादा 48 टन तक कोयला परिवहन कैसे किया जाता है। कांटाघर के कंप्यूटर और बिलिंग दस्तावेज से पूरा साक्ष्य मिल सकता है। इसीलिए विभागीय पैच में कोयला लोडिंग विभागीय पे लोडर से करना है तब भी नियम विरुद्ध तरीके से ठेकेदार के पे लोडर से करवाया जाता है। प्रबंधन अपनी कमी को ढकने और लीपापोती के लिए मेहनती श्रमिकों का संडे पी एच डी बंद करता है। फेस से कोयला कोल् स्टॉक तक परिवहन करने वाले ठेकेदार के समस्त कागजात और कार्य अनुमति लिए गए पे लोडर क्रमांक कि जांच किया जाय तो प्रमाण मिलता है कि जिस पे लोडर द्वारा फेस में काम किया जा रहा वही पे लोडर कोल् स्टॉक में कोयला लोडिंग का भी काम करा है, जो कि नियम विरुद्ध है और सतर्कता विभाग तथा सेल्स के गाइड लाइन के विरुद्ध है। स्टॉक में दो अनाधिकृत निजी बाहरी व्यक्तियों की तैनात कर प्रबंधन अवैध वसूली के कार्य में पूरी तरह संलग्न है। संवेदनशील कार्य व्यवहार के सम्बन्ध में सतर्कता विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देश कि खुले आम धज्जियाँ उड़ाते हुए रोड सेल तीन वर्ष से ज्यादा समय से पदस्थ टेक्निकल इंस्पेक्टर को वसूली के लिए रखा गया है। समयघर में भी एक समयपाल तीनवर्ष से ज्यादा समय से कार्यरत है, इन दोनों पर कार्यवाही पर प्रबंधन क्यों मौन है। उपक्षेत्रीय प्रबंधक के आवास में आज भी खान के स्किल्ड श्रमिकों को निजी काम में किस नियम के तहत रखा गया है। खान प्रबंधक के आवास में भी एक ठेकेदारी कामगार, जिसे खान में काम करना चाहिए उससे निजी कार्य करवाया जा रहा है। खान में संचालित बस वर्क आर्डर विरुद्ध होने पर शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही प्रबंधन द्वारा नहीं किये जाने से भ्र्ष्टाचार किये जाने की समझ श्रमिकों को है। खान के लिए आवश्यक जमीन अधिग्रहण के मामले में खान के कर्मचारियों को ग्रामीणों के समक्ष कर रहे हैं।
दिनांक 01 /10 /2022 को महाप्रबंधन सञ्चालन के साथ हुए खान श्रमिकों कि बैठक में सभी श्रमिकों ने खान सञ्चालन और भू अधिग्रहण में हुए बिलम्ब का पूरा दोषी खान के उपक्षेत्रीय प्रबंधक एवं खान प्रबंधक को बताया और यह भी कहा कि दोनों अधिकारी पूर्व में पदस्थ अधिकारीयों कि भांति ये किसी काम के लायक नहीं है। इससे साफ जाहिर है कि इन दोनों अधिकारियों कि जगह किन्ही अन्य अधिकारियों को खान में नियुक्त किया जाय। इस सम्बन्ध में कोयला मजदूर सभा के क्षेत्रीय अध्यक्ष श्री श्रीकांत शुक्ल ने बताया कि आमाडांड ओसीपी में सिर्फ श्रमिकों शोषण प्रबंधन अपने कमी और भ्र्ष्टाचार को छुपाने के लिए कर रही है। अब श्रमिकों के पेट में लात मरना प्रबंधन ने शुरू किया है तब ऐसी स्थिति में संघ श्रमिकों के हितो कि रक्षा के लिए सी बी आई को पूरा साक्ष्य देकर खान प्रबंधन के विरुद्ध जांच एवं कार्यवाही कि मांग करूँगा। क्योकि कंपनी का सतर्कता विभाग शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही दोषियों के विरुद्ध नहीं करता है और आगे भी इनके कारनामो की शिकायत लगातार कोयला मंत्रालय से लेकर कंपनी के उच्च प्रबंधन से करूँगा। जब तक प्रबंधन अपना निजी हित छोड़कर श्रमिकों के हितों के लिए कार्य नहीं करेंगे।