चुनावी हार पर कांग्रेस नेताओं ने दिखाई नैतिकता ,पदों से दिया इस्तीफा
भाजपा नेताओं ने क्या नैतिकता खूंटी पर टांग दी है ?
भाजपा के गढ़ रहे वार्डो में हार की आखिर कौन लेगा जिम्मेदारी ?
( अनुपम सिंह )
अनूपपुर और पसान नगर पालिका व जिले में हुए 4 नगर परिषदों के चुनाव में भाजपा ने सिर्फ नगर परिषद डूमर कछार में अच्छा प्रदर्शन किया जहा पार्टी ने 15 में से 10 वार्डो में जीत हासिल की है बाकी डोला , अमरकंटक , बनगवा,अनूपपुर और पसान में पार्टी का प्रदर्शन निराशा जनक रहा है , अमरकंटक में पार्टी ने सिर्फ बहुमत के जादुई आंकड़े को छुआ बस है यहा भाजपा को 15 में से 8 सीट मिली है वही डोला में 15 में से 6 और बनगवा में 15 में से 5 सीटे ही जीत पाई है ,वही नगर पालिका पसान में 18 में से 9 सीट ही भाजपा जीतने में सफल हो पाई है और अनूपपुर में 15 वार्डो में भाजपा 7 सीट ही जीत पाई है जबकि केंद्र से लेकर राज्य तक कि भाजपा शासन की योजनाओं को मतदाताओ को बताया गया है इसके बाद भी जिले में हुए निकाय चुनाव में भाजपा का बहुमत के जादुई आकड़े को न छु पाना स्थानीय नेताओं की अकर्मण्यता और तानासाही पूर्वक टिकट वितरण को ही जिम्मेदार माना जा सकता है ।
यह भी सच है कि कांग्रेस का प्रदर्शन जिले में हुए निकाय चुनाव में निराशाजनक है वह कही भी चुनावी लड़ाई में नही रही है ज्यादातर वार्डो में वह तीसरे और चौथे नंबर पर रही है । भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के निर्दलीयों से चुनौती मिली है और अमरकंटक को छोड़ दिया जाए तो भाजपा को अपने बागियों से ही शिकस्त मिली है , बहुमत के जादुई आकड़े को पाने के लिए भाजपा अब निर्दलियो की चौकठ पर एड़ी रगड़ रही है । और पसान, अनूपपुर, बनगवा और डोला में उसे सत्ता निर्दलियों के रहमो करम पर मिलेगी । भाजपा इसके लिए दबाव बनाने से लेकर प्रलोभन देने तक का दाव खेल रही है । अमरकंटक में अध्यक्ष पद के लिए आपसी खींचतान में पार्टी बहुमत होने के बाद भी सत्ता से बाहर हो सकती है ? कांग्रेस इसकी पूरी तैयारी में है ?
निकाय चुनाव में कांग्रेस की हार पर पार्टी के नेताओ ने अपनी जिम्मेदारी ली है और नैतिकता के आधार पर अपने पदों से इस्तीफा दिया है लेकिन भाजपा नेताओं ने अपनी असफलता पर चुप्पी साध रखी है और निर्दलियों के दम पर बहुमत हासिल करने को अपनी उपलब्धि बताना चाह रही है ।
अनूपपुर नगर पालिका के वार्ड 12 , 14 और 15 भाजपा का गढ़ रहा है और इन तीनो वार्डो में भाजपा की हार हुई है इन तीनो ही वार्डो में निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है , भाजपा के गढ़ में भाजपा प्रत्याशियों की हार हुई है आखिर इसकी जिम्मेदारी भाजपा के कौन से नेता लेंगे ? वार्ड 12 और 14 में भाजपा प्रत्याशी श्रीमती रेखा पाण्डेय और श्री मति प्रवीण द्विवेदी रही है जो भाजपा के दिवंगत नेता ओमप्रकाश द्विवेदी की बेटी और पत्नी है , मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने इन्हें पार्टी का टिकट तो दिया लेकिन इनकी जीत के लिए जिस तरह सक्रिय होकर चुनाव प्रचार करना था और रणनीति बनानी थी वैसी नही बनाई ? और प्रत्याशियों को उनके हाल पर छोड़ दिया और अपनी पूरी ताकत कांग्रेस से अपने साथ भाजपा में लाएं गए आयतित उम्मीदवार वार्ड 5 से संध्या राय वार्ड 7 से सोनल अग्रवाल और वार्ड 9 से अनिल पटेल को जिताने में लगा दी और वार्ड 5 और 9 क उम्मीदवारों को जीत भी दिलवा दी लेकिन वार्ड 7 में वह आशीष त्रिपाठी से गच्चा खा गए ?
वार्ड 15 जो भाजपा का अभेद गढ़ रहा है इस वार्ड में भाजपा प्रत्याशी की हार इससे पहले कभी नही हुई थी लेकिन इस बार भाजपा प्रत्याशी की हार हुई है यहाँ भाजपा प्रत्याशी संपत पटेल को निर्दलीय सुभाष पटेल ने शिकस्त दी है ।
वार्ड 15 में भाजपा और युवा मोर्चा के जिला पदाधिकारियों का निवास है भाजपा और युवा मोर्चा के विभिन्न पदों पर रहने वाले और वर्तमान में भाजपा जिला महा मंत्री जितेन्द्र सोनी और भाजपा युवा मोर्चा के जिलामंत्री प्रदीप मिश्रा इसी वार्ड के वोटर और निवासी है फिर भी यहाँ भाजपा की हार यह साबित करती है कि इन जिला पदाधिकारियों ने भाजपा प्रत्याशी के लिए समर्पण भाव से काम नही किया और पार्टी के अभेद गढ़ में पार्टी प्रत्याशी की करारी हार हुई है । क्या कांग्रेस पार्टी के नेताओ की तरह भाजपा के इन पदाधिकारियों में नैतिकता बची है कि अपने खुद के वार्ड और भाजपा के अभेद गढ़ में पार्टी की हार पर नैतिकता दिखाते हुए अपने पदों से इस्तीफा देंगे ? या अपनी कुर्शी पर फेविकोल लगाकर चिपके रहेंगे ?