आंधी, बारिश में जमीदोज हुआ घोघराटोला प्राथमिक विद्यालय कैंपस का पुराना भवन
नौनिहालों की जान से खिलवाड़
आखिर जर्जर भवन को अब तक क्यों नही गिराया गया था
अनूपपुर :- इस साल मानसून की पहली बारिश ने अव्यवस्थाओ की पोल खोल कर रख दी है , मौसम विभाग द्वारा इस वर्ष समय से पहले मानसून आने की उम्मीद जताई जा रही थी, 13 जून को तेज आंधी के साथ अनूपपुर के ग्रामीण क्षेत्रो में बारिश हुई । जमडी, बैरिबान्ध,बरटोला में कई पेड़ जमीदोज हुए तो बिजली के खंभे भी तेज आंधी को सह नही पाए । तेज आंधी और बारिश में जैतहरी जनपद शिक्षा केन्द्र के सकरा संकुल के अंतर्गत घोघराटोला प्राथमिक विद्यालय के परिषर में मौजूद पुराना भवन जमीदोज हो गया ।
बिजली विभाग ग्रामीण क्षेत्रो में बारिश के पूर्व मेंटीनेंस के नाम पर हर दिन घंटो बिजली कटौती करता है लेकिन आज उनके मेंटिनेंस का दावा भी धरा का धरा रह गया।
नौनिहालों की जान से खिलवाड़
ऐसी पुरानी बिल्डिंग जो जर्जर हालत में है विभाग द्वारा उन्हें क्यों सहेज कर रखा गया है,उसी परिसर में बच्चे मौजूद रहते है और ऐसे जर्जर भवन कभी भी जमीदोज जो सकते है और नौनिहालों के साथ कभी भी बड़ी घटना घट सकती है, ऐसी घटनाओं पर जिम्मेदारी किसकी होगी ।
बच गई नौनिहालों की जान
स्कूली शिक्षा विभाग के द्वारा बच्चो के लिए 14 जून तक अवकाश घोसित किया गया है और 15 जून से बच्चो के लिए स्कूल खुलना है, जिस वजह से विद्यालय परिसर में कोई भी बच्चा मौजूद नही था , लेकिन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के कारण शिक्षकों के अवकाश निरस्त हो चुके है और शिक्षकों को स्कूलों को खोलने के आदेश दिए गए है , अगर ऐसे में शिक्षकों के साथ कोई घटना घट जाए तो किसकी जिमेदारी होगी ।
23 साल पुराना था जर्जर भवन
आंधी बारिश की वजह से जमीदोज हुए जर्जर भवन का निर्माण वर्ष 1999 में 50 हजार की लागत से करवाया गया था , अब उस परिसर में एक और भवन है जिसमे कक्षाएं संचालित होती है और जमीदोज हुए भवन का उपयोग कक्षाएं संचालित करने के लिए नही हो रहा था लेकिन यदि परिसर में जर्जर भवन मौजूद है तो बच्चे खेलते वक़्त इन जर्जर भवनों में जाते है ।
जिले भर में दर्जनों विद्यालय परिसरों में मौजूद है जर्जर भवन
जिले भर में ऐसे दर्जनों प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के परिषर में जर्जर भवन मौजूद है जो कभी भी किसी बड़ी घटना को खुला आमंत्रण दे रहे है यदि बारिश के सीजन में जब विद्यालय संचालित हो रहे हो तो नौनिहालों और विद्यालय स्टाफ के साथ बड़ी घटना घट सकती है ।
जिले भर में दर्जनों जर्जर भवन परिसरों में मौजूद है, विभाग द्वारा 43 जर्जर भवनों को डिस्मेंटल करने पी डब्लू डी को प्रस्ताव भेजा गया है ,लेकिन लापरवाही की हद देखिए कि घोघराटोला का जो भवन गिरा है वह उन 43 जर्जर भवनों की सूची में शामिल नही है जिन्हें विभाग ने डिस्मेंटल करने का प्रस्ताव भेजा है । सकरा संकुल के अन्तर्गत ही बरटोला प्राथमिक विद्यालय और डिडवापानी विद्यालय परिसर में भी जर्जर भवन मौजूद है । जो किसी बड़ी घटना को खुला आमंत्रण दे रहे है ।
किसकी तय होगी जिम्मेदारी
इस तरह के जर्जर भवनों को लेकर क्या निर्णय लेना है इसकी जिम्मेदारी किसकी है और जर्जर भवन के अचानक से जमीदोज हो जाने पर किस पर जिम्मेदारी तय होनी चाहिए । संस्था प्रमुख , जनशिक्षक, खण्ड स्रोत समन्वयक या जिला परियोजना समन्वयक की या इंजीनयर की ?
यह है प्रक्रिया
किसी भी भवन के जर्जर या क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में शाला विकाश समिति बी आर सी को भवन के रिपेयरिंग या डिस्मेंटल करने प्रस्ताव भेजती है फिर बी आर सी के माध्यम से प्रस्ताव डी पी सी आफिस भेजा जाता है फिर विभाग इंजीनियर को भेज के मौके निरीक्षण करवाता है अगर भवन जर्जर हो चुका है तो उसे विभाग पी डब्लू डी को डिस्मेंटल करने का भेजता है आगे की कार्यवाही पी डब्लू डी करती है ।
इनका कहना है -
घोघराटोला प्राथमिक विद्यालय परिसर में मौजूद भवन के जर्जर होने संबंधी कोई भी प्रस्ताव विभाग द्वारा मुझे नही दिया गया है । संभव है कि बिजली गिरने की वजह से भवन गिरा हो ।
मनोज वर्मा
इंजीनियर सर्व शिक्षा अभियान
घोघराटोला प्राथमिक विद्यालय परिसर में जो भवन गिरा है उसका उपयोग नही हो रहा था और वह गिरने वाली स्थिति में नही था आंधी,बरसात की वजह से गिरने की संभावना है । हमने जिले भर से 43 जर्जर भवनों को डिस्मेंटल करने पी डब्लू डी को प्रस्ताव भेजकर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है , उनके जगह नए भवन भी बनाने की प्रस्ताव भेजा गया है ।
हेमेंद्र खैरवाल
डी पी सी अनूपपुर