सियासत
कांग्रेस के लिए चुनौती भरे निकाय चुनाव...!
नगरीय निकाय चुनाव अवश्य होंगे क्योंकि तैयारियां तेज हो गई है। निर्वाचन आयोग पहले*पंचायत चुनाव बाद में नगरीय निकाय चुनाव कराएगा। यह भी तय हो गया है कि नगरीय निकाय चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे। यानी मेयर और नपा तथा नगर पंचायत के अध्यक्ष का फैसला पार्षद करेंगे। इस संबंध में* *भाजपा में दो राय थी। संगठन चाहता था कि नगरी निकाय* *चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से हो यानी मेयर और नप अध्यक्ष का चुनाव जनता द्वारा हो। जबकि* *विधायकों और सांसदों का कहना था कि चुनाव परोक्ष प्रणाली से ही होना चाहिए* *क्योंकि सीधे जनता द्वारा चुने गए मेयर विधायकों और सांसदों की परवाह नहीं करते। इस तरह निर्वाचित मेयर का दबदबा पूरे* *शहर पर रहता है और विधायक तथा सांसदों से उनका दर्जा ऊपर रहता है। बहरहाल, सूत्रों का* *कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस समय विधायक और सांसदों को नाराज नहीं करना चाहते इस कारण से नगरीय*निकाय चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे। मालवा निमाड़ में इंदौर, उज्जैन, खंडवा, बुरहानपुर, रतलाम और देवास*नगर निगम आते हैं इन सभी पर* *पिछली बार भाजपा का कब्जा*था। इसी कारण इस क्षेत्र में मंदसौर , नीमच ,खरगोन जैसी बड़ी नगरपालिकाएं भी आती हैं*।* *इन पर भी भाजपा का कब्जा रहा है। कांग्रेस के लिए भाजपा के*शहरी गढ़ों को तोड़ना आसान नहीं रहेगा*। *खरगोन उपद्रव के घटना के कारण निमाड़ अंचल में* *कांग्रेस के प्रति नाराजगी है। मालवा निमाड़ में जयस की* *उपस्थिति के कारण भाजपा और कांग्रेस दोनों को परेशानी है। आम आदमी पार्टी भी मालवा निमाड़ में पैर पसारने के लिए स्थानीय चुनाव को गंभीरता से ले सकती है।*
*भाजपा के सत्तारूढ़ होने का लाभ भी पार्टी को मिलेगा जबकि कांग्रेस नुकसान में रहेगी। चुनाव नजदीक आते देख कांग्रेस और भाजपा के स्थानीय दावेदार फिर से नए सिरे से सक्रिय हो गए हैं।* *चौक चौराहों पर राजनीतिक चर्चा सरगर्म होने लगी है। स्थानीय नेता अब टिकट की जुगाड़ में लग गए हैं।*
*कांग्रेस ने पंचायत और नगरी निकाय चुनाव के लिए विजय लक्ष्मी साधो को इंदौर का संभागीय प्रभारी बनाया है जबकि सज्जन सिंह वर्मा उज्जैन संभाग के प्रभारी होंगे। भाजपा जिला स्तर पर रणनीति बना रही है।*