caste census, पिछड़ी जातियों के समग्र विकास के लिए उनकी सही संख्या का पता होना आवश्यक


आजादी के बाद केंद्र सरकार ने समाज के पिछड़े वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन राष्ट्रपति के आदेश से 29 जनवरी 1953 को किया। आयोग ने अपनी रिपोर्ट 30 मार्च 1955 को सरकार को सौंपी। लेकिन पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए गठित आयोग में भी जातीय कुंठा अपने भरपूर कुतर्को के साथ मौजूद थी। आयोग के अध्यक्ष काका कालेलकर का रुख गोलमोल था। हालांकि इस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में संवैधानिक बाध्यता के चलते पेश तो किया गया, लेकिन उस पर कभी चर्चा नहीं हो पाई।

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