विभिन्न मांगों को लेकर आज बिजली आउटसोर्स कर्मी कलेक्टर, सांसद व विधायकों को सौंपेंगे ज्ञापन
मांगें नही माने जाने पर धनतेरस से दीपावली तक काम बंद आंदोलन की चेतावनी
अनूपपुर :- मप्र के 45 हजार बिजली आउटसोर्स कर्मियों ने धनतेरस से दीपावली तक प्रस्तावित काम बंद आंदोलन को लेकर म.प्र. के सभी 55 जिलों के कलेक्टर, सांसद, विधायकों को ज्ञापन सौंपने संबंधी अभियान शुरू कर दिया गया है। यह अभियान बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव, महामंत्री दिनेश सिसोदिया एवं जनता यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेंद भदौरिया के नेतृत्व में चलाया जा रहा है। ज्ञापन में प्रमुख मांगे हैं जिनमे म.प्र. की सभी छह बिजली कंपनी में जो निकट भविष्य में करीब 50 हजार रिक्त पदों को मौजूदा एवं सेवा से पृथक अनुभवी आउटसोर्स कर्मियों की विभागीय परीक्षा लेकर उसी प्रकार भरा जाए जैसे ठेका प्रथा लागू होने से पहले पिछले 50 सालों में बिजली डेली वेजेस मस्टर कर्मियों को कच्चे से पक्का किया जाता रहा। इस 50 हजार की भर्ती के बाद भविष्य में होने वाली सीधी भर्ती में अतिथि शिक्षकों की तर्ज पर 50 प्रतिशत पद ऊर्जा विभाग राजपत्र के जरिए बिजली आउटसोर्स कर्मियों को आरक्षित करे व छोटे पद बना कर रेगुलर करें। तमिलनाडु की तर्ज पर मप्र में मुख्य कार्य सीधी भर्ती से कराएं। मप्र के राज्यपाल के हस्ताक्षर होने के बाद राजपत्र क्रमांक 494 दिसम्बर 2020 के मुताबिक बोनस 8.33 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया उसे उसी तिथि से लागू कर 57 माह की 11.67 प्रतिशत की दर से बोनस एरियर राशि हर ठेका श्रमिक को दी जाए, केंद्र सरकार के आउटसोर्स कर्मियों के बराबर मप्र के आउटसोर्स को न्यूनतम वेतन दें, पिछले 20 सालों के दौरान म. प्र. में मिनिमम वेजेस 5 साल की जगह हर बार 9 साल में रिवाइज हुआ, इस घाटे की भरपाई एडिशनल वेजेस देकर की जाए। भाजपा विधानसभा चुनावी संकल्प पत्र के पृष्ठ 81 पर अमल कर आउटसोर्स को संविदा का दर्जा व संविदा समान सुविधा दें। मप्र में ठेकेदारी कल्चर समाप्त कर आउटसोर्स रिफॉर्म नीति बनाई जाए, बिजली कंपनी का निजीकरण नहीं किया जाए। ठेकेदार व बिचौलियों को हटाकर हरियाणा, आंध्र प्रदेश व उप्र राज्य की तर्ज पर मप्र आउटसोर्स सेवा निगम बनाए, 5 वर्ष से अधिक अनुभवी आउटसोर्स कर्मियों को उड़ीसा राज्य की तर्ज पर एक हजार रुपए अतिरिक्त पारिश्रमिक भत्ता दें। कम्प्यूटर व सब स्टेशन संयंत्र ऑपरेटर को कुशल की जगह उच्च कुशल श्रेणी का वेतन दिया जाए, रात्रि पाली में काम करने पर रात्रि भत्ता दें, 10 प्रतिशत आउटसोर्स हेल्पर की जगह सभी आउटसोर्स लाइन हेल्पर , विद्युत सहायक, संयंत्र व सब स्टेशन ऑपरेटरों को जोखिम भत्ता दें। वर्ष 2006 में ठेका प्रथा प्रारंभ होने से लेकर अब तक विद्युत दुर्घटना में मरे व विकलांग ठेका श्रमिकों के परिजनों को बिना शर्त मुआवजा दें एवं मौजूदा मुआवजा राशि 4 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपए की जाए एवं विद्युत दुर्घटना मृतक के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाये।
कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेने पर होंगे विवश
ज्ञापन में कहा गया कि नियमित कर्मियों की भांति आउटसोर्स कर्मी 62 वर्ष तक सेवा में रखे जाएं , पूर्व में या आंदोलन के दौरान हटाए गए आउटसोर्स कर्मी बिना शर्त वापिस रखे जाएं। प्रत्येक आउटसोर्स कर्मी को एक वर्ष में 15 आकस्मिक अवकाश, साप्ताहिक अवकाश, 10 मेडिकल अवकाश एवं सभी राष्ट्रीय त्योहारों पर काम के एवज में एडिशनल वेजेस दिया जाए, मध्यक्षेत्र कंपनी में आउटसोर्स कंप्यूटर ऑपरेटरों को सीपीसीटी पास करने की बाध्यता समाप्त कर इसे एच्छिक किया जाए। अल्प वेतन पाने वाले ठेका श्रमिकों को 5 कि.मी. से अधिक दूर ट्रांसफर नहीं किया जाए एवं मध्यक्षेत्र कंपनी ने जून 2025 के दौरान एक ही दिन में 9800 से अधिक आउटसोर्स कर्मियों के ट्रांसफर 10 से 40 कि. मी. दूर किए हैं वह निरस्त किए जाएं। बढ़ा हुआ न्यूनतम वेतन एरियर राशि कम देने या नहीं देने वाले ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट कर उन पर पेनाल्टी लगाई जाए एवं ठेकेदारों की मौजूदा बैंक गारंटी व सुरक्षा निधि राशि 5 गुना बढ़ाई जाए। विद्युत सहायक बनाए गए मीटर रीडर का 5 लाख का बीमा बिजली कंपनी कराए , जिन सब स्टेशनों में रिलीवर ऑपरेटर नहीं हैं वहां रिलीवर ऑपरेटर पदस्थ हों एवं उन्हें अन्य कामों में नहीं लगाया जाए, बिजली आउटसोर्स की प्राइवेट सेवा पुस्तिका बनाई जाए। आए दिन बिजली तार व मीटर चोरी होने एवं मारपीट की वारदातों की रोकथाम हेतु म. प्र. के प्रत्येक वितरण केंद्र व सब स्टेशन में सुरक्षा गार्ड, हेल्पर की तैनाती की जाए। श्री भार्गव ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों की मांगे नही मानी तो धनतेरस से दिपावली तक कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेने पर विवश होंगे।